इस तरह हुई शुरुआत
उनके पिता ने जब खेत की जमीन खरीदी थी तब वहां पर कई पेड़ थे। धीरे-धीरे पेड़ खत्म होते चले गए और पक्षियों का आना बंद हो गया। इसके बाद लगा पक्षियों को वापस लाना चाहिए। खेत में अलग-अलग प्रजातियों के पेड़ लगाना शुरू किए। आम के पेड़ लग गए, लेकिन सेब, अनार के पेड़ खत्म हो गए। पेड़ों पर फल आना शुरू हुए तो पक्षियों का आना भी शुरू हो गया।
बच्चों की तरह बड़ा किया
जब खेत में आम के पेड़ लगाए तो बिजली नहीं थी। वह पत्नी संग बाल्टी से आम के पौधों को सींचते। कड़ी मेहनत कर पेड़ों को बड़ा किया था। पिछले दिनों आग ने कई पेडों को जला दिया।
उनके पिता ने जब खेत की जमीन खरीदी थी तब वहां पर कई पेड़ थे। धीरे-धीरे पेड़ खत्म होते चले गए और पक्षियों का आना बंद हो गया। इसके बाद लगा पक्षियों को वापस लाना चाहिए। खेत में अलग-अलग प्रजातियों के पेड़ लगाना शुरू किए। आम के पेड़ लग गए, लेकिन सेब, अनार के पेड़ खत्म हो गए। पेड़ों पर फल आना शुरू हुए तो पक्षियों का आना भी शुरू हो गया।
बच्चों की तरह बड़ा किया
जब खेत में आम के पेड़ लगाए तो बिजली नहीं थी। वह पत्नी संग बाल्टी से आम के पौधों को सींचते। कड़ी मेहनत कर पेड़ों को बड़ा किया था। पिछले दिनों आग ने कई पेडों को जला दिया।
बावड़ी की किया जिंदा
एक पुराने समय की बावड़ी खेत में बनी हुई है। रखरखाव नहीं होने के कारण इमसें मिट्टी भर गई थी। सबसे पहले इसे खोदा। जब दोबारा पानी आ गया तो उसका एक बार फिर नए तरीकों से निर्माण कराया। अब इसमें भरपूर पानी है। इस पर इंदौर के परिवार का शिलालेख लगा था। उसे देख कर परिवार से भी संपर्क किया गया। उन्हें बताया कि पूर्वजों की विरासत आज भी संभाली हुई है।
एक पुराने समय की बावड़ी खेत में बनी हुई है। रखरखाव नहीं होने के कारण इमसें मिट्टी भर गई थी। सबसे पहले इसे खोदा। जब दोबारा पानी आ गया तो उसका एक बार फिर नए तरीकों से निर्माण कराया। अब इसमें भरपूर पानी है। इस पर इंदौर के परिवार का शिलालेख लगा था। उसे देख कर परिवार से भी संपर्क किया गया। उन्हें बताया कि पूर्वजों की विरासत आज भी संभाली हुई है।
हर यात्रा पर नया पौधा
वह तीर्थयात्रा पर जाते रहते हैं। जहां भी जो हैं वहां से एक पौधा लेकर आते हैं। बादाम और सेब के साथ अनार भी लाए। पेड़ संभालने के लिए तकनीक भी सीखते हैं। कुछ पेड़ मौसम में नहीं टिक पाए, लेकिन कुछ टिक गए। आम की कई किस्में इस तरह से इकट्ठा हो गई हैं।
वह तीर्थयात्रा पर जाते रहते हैं। जहां भी जो हैं वहां से एक पौधा लेकर आते हैं। बादाम और सेब के साथ अनार भी लाए। पेड़ संभालने के लिए तकनीक भी सीखते हैं। कुछ पेड़ मौसम में नहीं टिक पाए, लेकिन कुछ टिक गए। आम की कई किस्में इस तरह से इकट्ठा हो गई हैं।