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सोशल मीडिया पर चुपके से मिले दिल, हकीकत में बदल गई हाव-भाव की दास्तां

ये मूक-बधिर जोड़ी समाज के लिए आदर्श, सांकेतिक भाषा के बीच पनपा प्रेम विवाह के बाद दोनों के परिवार खुश

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इंदौर। सोशल मीडिया पर दो दिलों के मिलने की कहानी को हकीकत होते आपने सुना होगा, पर क्या हाव-भाव से मिले दो दिलों की दास्तां आपने सुनी है? अगर नहीं तो यह कहानी आपके दिलों को छू लेगी। बिना आवाज सुने बिना कुछ कहे दो दिल कैसे मिलते हैं और कैसे जिंदगी का नया सफर एकसाथ शुरू करते हैं, आइए सुनते हैं एक बेआवाज जोड़ी के दिलों की झंकार...

बेआवाज ऐसे शुरू हुई प्रेम कहानी
सोशल मीडिया के जरिए ही शुरू होने वाली इस कहानी की शुरुआत दिल से नहीं बल्कि उनकी सांकेतिक भाषा और हाव-भाव से शुरू होती है और न जाने उनके दिलों में कब प्रेम पनपने लगता है। प्रेम की यह कहानी है इंदौर की रहने वाली मूक बधिर युवती और खरगोन के रहने वाले मूक बधिर युवक की।

पांच माह पहले बंधे विवाह बंधन में
खरगोन से करीब 6 किमी दूर ठीबगांव निवासी सुनील यादव (27) जन्म से मूक बधिर है। शादी से एक साल पहले फेसबुक पर उसकी दोस्ती इंदौर निवासी सुनीता यादव (22) से हुई। वह भी मूक बधिर है। सांकेतिक भाषा ने उन्हें ऐसा जोड़ा कि उनके दिल जुड़ गए। फिर वीडियो चैटिंग के जरिए उनके प्रेम का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि थमा ही नहीं। दोनों की यह सांकेतिक प्रेम कहानी की शुरुआत परिवार के सामने आ गई। परिवार वाले भी इस रिश्ते से खुश हुए औश्र दोनों का विवाह तय कर दिया। आखिरकार आंखों से दिल तक पहुंचा प्यार विवाह में बदल गया। उनका विवाह हुए अब पांच महीने हो चुके हैं।

घर वालों को रहती थी चिंता
पिता कैलाश यादव बताते हैं कि बेटा जन्म से ही बोलने में असमर्थ था। उन्हें हमेशा उसके भविष्य की चिंता रहती थी, लेकिन ऊपर वाले ने ऐसा संयोग बनाया कि वह भी विवाह बंधन में बंध गया।
दोनों की शिक्षा मिडिल क्लास तक
सुनील और सुनीता मिडिल क्लास तक पढ़े हैं। सुनील खेती करता है, जबकि सुनीता इंदौर में रहती है। इसके बावजूद सुनीता ने उसे जीवन साथी चुना है।

साइन लैंग्वेज ने बुन दी दिलों की दास्तां
रिश्तेदार हरी यादव, सुभाष यादव बताते हैं कि वे दोनों घंटों मोबाइल पर वीडियो कॉलिंग के जरिए बात करते थे। दोनों के बीच साइन लैंग्वेज के जरिए प्रेम का संवाद होता रहा। उन्हें बात करते देखना रोमांचित करने वाला होता है। इशारों ही इशारों में वह एक-दूसरे के भावों को समझ जाते हैं।
आप भी जाने साइन लैंग्वेज
आपको बता दें कि सांकेतिक भाषामूक बधिरों की अपनी भाषा है। सांकेतिक भाषा संदेशों को व्यक्त करने के लिए विजुअल एक्शन का उपयोग करती है। यह भाषा हाथों के उपयोग तक ही सीमित नहीं है। चेहरे की अभिव्यक्तियां, शरीर की गति और इशारे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।