
याद-ए-राहत: फिर भी जो लोग बड़े हैं, वो बड़े रहते हैं...
इंदौर. ख्यात शायर डॉ. राहत इंदौरी की याद में शनिवार रात यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम में मुशायरा व कवि सम्मेलन हुआ। संस्था काफिला मोहब्बत का द्वारा आयोजित याद-ए-राहत में 16 शायरों ने समां बांधा। कार्यक्रम में आगाज नदीम फर्रूखी ने डॉ. राहत के शेर से की- ये अलग बात है कि खामोश खड़े रहते हैं, फिर भी जो लोग बड़े हैं, वो बड़े रहते हैं। ऐसे दरवेशों से मिलता है हमारा शिजरा, जिनके जूतों में कई ताज पड़े रहते है...। ख्यात व्यंग्यकार और कवि संपत सरल ने कहा कि गहन अंधेरों में शायर सुनना पड़ रहे हैं। देश में अभी जैसा वातावरण है, यह अंधेरा अभी और बढ़ेगा। उन्होंने मीडिया, ईडी, राजनीतिज्ञों पर व्यंग्य कर लोगों की तालियां बटोरी। आप भी पढ़ें जाने-माने शायरों के चुनिंदा कलाम...।
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नईम अख्तर खादमी: थकान आंखों में है, गुबार मुझ पर है, मैं चल रहा हूं कि दारोमदार मुझ पर है...। मेरी नजर को नजर से नजर नहीं आता, तेरी नजर मेरे परवरदिगार मुझ पर है...।
आदिल रशीद (दिल्ली): उसकी एक याद में लज्जत होती है, पहली मोहब्बत, पहली मोहब्बत होती है...। तेरे साथ नहीं हूं तो अहसास हुआ,एक तस्वीर की कितनी कीमत होती है...।
सतलज राहत: दिल ए नाकाम मिला है मुझको, इश्क का दाम मिला है मुझको...। नाज है मुझको मेरे होने पर, आपका नाम मिला है मुझको...।
मुश्ताक अहमद मुश्ताक (बुरहानपुर): रहे इश्को वफा खाली पड़ी है, जुनू परवर फजा खाली पड़ी है...। उठाए कौन सच्चाई का परचम, जमीने करबला खाली पड़ी है...।
हिमांशी बाबरा (यू-ट्यूबर कवियित्री): ऐसे वो रो रहा था मेरा हाल देखकर, आया हुआ हो जैसे किसी इंतकाल में...। यह बात जानती हूं मगर मानती नहीं, दिन कट रहे हैं आज भी तेरे ख्याल में...। एक बार अपनी निगाहबानी सौंप दे, उम्र गुजार दूंगी तेरी देखभाल में...।
जुबैर अली ताबिश: हकीकत दीद-ए-तर के अलावा भी बहुत कुछ है, समंदर में समंदर के अलावा भी बहुत कुछ है...। अब अगली बार आना तो बदन को छोड़कर आना, मेरे कमरे में बिस्तर के अलावा भी बहुत कुछ है...। सुहागन भी बता देगी मगर तुम पूछो विधवा से, ये मंगलसूत्र जेवर के अलावा भी बहुत कुछ है...। ये क्या एक मकबरे को आखिरी हद मान बैठे हो, मोहब्बत संगेमरमर के अलावा भी बहुत कुछ है...।
नईम फराज: सुलगती आग थे लेकिन बुझा दिए गए हम, जमानेभर की नजर से छुपा दिए गए हम...। बड़े सुकून से हमको सुना गया लेकिन, कहानी खत्म हुई और भुला दिए गए हम...। (अन्य गजल)- वो मुझसे बिछड़ने की दुआ मांग रहे हैं, क्या इश्क में था मांगना, क्या मांग रहे हैं...। मुश्किल से मिला करते हैं बाजर्फ मुखालिफ, दुश्मन मेरे जीने की दुआ मांग रहे है...। पुरनूर हैं जिनसे मेरी आंखों के जजीरे, औरों से मेरे घर का पता मांग रहे हैं...।
अबरार काशिफ: दिया जलाके सभी बामुदर में रखते हैं, और एक हम हैं कि उसे रहगुजर में रखते हैं...। समंदर को भी मालूम है हमारा मिजाज, कि हम पहला कदम भी भंवर में रखते हैं...।
मेहशर आफरीदी: मोहब्बत, भाईचारा, अम्न का पैगाम किसको दें, यह अमृत पी गए अखलाक खाली जाम किसको दें। तबाही में हमारी आप भी शामिल हैं और हम भी, हमारा मसअला यह है कि अब इल्जाम किसको दें...। (अन्य गजल)- खराब वक्त में इज्जत रहे संभाले हुए, कभी न जेब में रखें सिक्के उछाले हुए...। डंसा गया हूं मैं लेकिन इलाज जानता हूं, यह सांप हैं तो मेरे आस्तीन के पाले हुए...।
डॉ. नदीम शाद (देवबंद): ये गम नहीं कि कहानी में मारे जाएंगे, गिला यह है कि जवानी में मारे जाएंगें...। नदी न झील समंदर में देखना यह लोग, किसी की आंख के पानी में मारे जाएंगें...। (अन्य गजल)- कैसे आगे चले इश्क का यह फसाना नहीं जानते, वो इशारे समझते हैं नहीं हम बताना नहीं जानते...। जी-हुजूरी में माहिर हो बस सिर्फ अच्छे हो तुम इसलिए, हम बुरे इसलिए हैं कि हम सर झुकाना नहीं जानते...।
मंजर भोपाली: मैं कब्र तक तो घसीटा गया हूं कांटों पर, मेरे मजार पर चादर चढ़ाओ फूलों की...। वफाएं करके भी हम बेवफा ही कहलाए, यह है बुजुर्गों सजाएं तुम्हारी भूलों की...।
शकील आजमी: दर्द की हद से गुजारे तो सभी जाएंगें, जल्द या देर से मारे तो सभी जाएंगें...। नदियां लाशों को पानी में नहीं रखती हैं,तैरे या डूबे किनारे तो सभी जाएंगें...। चाहे कितनी भी बुलंदी पर चला जाए कोई, आसमानों से उतारे तो सभी जाएंगें...।
कार्यक्रम में लाइट गुल, माइक तक मुश्किल से चले
व्यवस्थाओं के लिहाज से मुशायरे के शुरू में ही लाइट की लुका-छिपी शुरू हो गई थी और थोड़ी देर बाद पूरी तरह चली गई। फॉल्ट को थोड़ी देर में ठीक करने का दावा किया, लेकिन अंत तक सुधार नहीं हुआ। केवल माइक चल रहा था और यूनिवर्सिटी के पास मात्र साढ़े तीन घंटे का बैकअप ही था। इस कारण मुशायरा एक बजे खत्म करना पड़ा। डॉ. राहत की याद में जो शमां जलाई गई थी, वही मंच पर पढ़ने वालों का सहारा रही। अधिकांश समय एक ही माइक चला।
Published on:
19 Feb 2024 06:00 pm
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