
'महाराजा' का शाही ठाट खत्म, कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए सरकार से मांगी मदद
नर्इ दिल्ली। देश की महाराजा एयरलाइंस का शाही अंदाज अब धूमिल होते दिखार्इ दे रहा है। पहले कर्ज के बोझ में डूबी इस सरकारी एयरलाइंस को कोर्इ खरीदार नहीं मिला आैर अब इस विमान कंपनी को एक आैर समस्या से परेशान होना पड़ रहा है। अपने कर्मचारियों को समय से सैलरी न दे पाने के संकट से जूझ रहे एयर इंडिया ने केंद्र सरकार से लगभग 2,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्त पोषण मांगा है। इकनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट ने अनुसार एक अधिकारी ने कहा कि एयरलाइन अगले महीने इस फंड की उम्मीद कर रही है जब सरकार संसद के मॉनसून सत्र में 2018-19 शुरू होगा।
मर्इ माह के वेतन भुगतान में देरी
इससे पहले एक रिपोर्ट में कहा गया था कि एयर इंडिया के कर्मचारियों को कम से कम 15 जून तक उनके मई के वेतन के लिए इंतजार करना होगा। एयर इंडिया ने एक बयान में भी कहा था कि "मई महीने के लिए वेतन के भुगतान में देरी हो रही है और भुगतान 15 जून तक किया जा सकता है।" यह लगातार तीसरी बार है कि एयरलाइन ने नगदी संकट के बीच वेतन के भुगतान में देरी कर दी है क्योंकि मार्च और अप्रैल के भुगतान समय पर नहीं किए गए थे। एयर इंडिया अप्रैल 2012 में पूर्व यूपीए सरकार द्वारा घोषित 10-वर्षीय 30,231 करोड़ रुपये में से 26,000 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त कर चुकी है।
सरकार से मांगा अतिरिक्त 2,000 करोड़ रुपए
अधिकारी ने कहा कि "हमने सरकार से अनुरोध किया है कि वह एयरलाइन में इक्विटी निवेश को बहाल करे, जिसे प्रस्तावित निवेशकों के कारण रोक दिया गया था। हम वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए 2,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त धन की मांग कर रहे हैं।" एयर इंडिया को वित्तीय वर्ष 2013-14 तक सरकार से प्रति वर्ष औसतन 3,000-4,000 करोड़ रुपये का वित्त पोषण प्राप्त हो रहा था। 2018-19 के लिए निजीकरण योजना के मुताबिक एयर इंडिया को केवल 650 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो पिछले महीने बुरी तरह असफल रहा क्योंकि सरकार को एयरलाइन में 76 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए भी एक बोली नहीं मिली।
Published on:
09 Jun 2018 06:59 pm
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