
नई दिल्ली। 11 बैंकों को करीब 2,654 का चूना लगाने के आरोपी वडोदरा की डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी के एमडी अमित भटनागर को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई तीन दिनों से इस मामले की जांच कर रही थी। शुक्रवार को सीबीआई ने अमित के घर छापेमारी की थी, तब वह घर पर नहीं मिला था। तभी से अमित के विदेश भागने की चर्चा चल रही थी। इस मामले में सीबीआई ने अमित भटनागर, उसके भाई सुमित भटनागर और इनके पिता व समूह संस्थापक सुरेश भटनागर पर सरकारी व गैरसरकारी बैंकों को 2,654 करोड़ रुपए का चूना लगाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई के अनुसार कंपनी के अधिकारियों ने बैंक अफसरों से मिलीभगत कर 2008 से एक मॉडस ऑपरेंडी के जरिए सैंकड़ों करोड़ रुपए के लोन पास कराए। इसके बाद कंपनी के प्रमोटर एसएन भटनागर और सुमित भटनागर ने फर्जी दस्तावेज, बैंक खातों और कंपनी की बैलेंस शीट दिखाकर सरकारी व गैर-सरकारी बैंकों से कई लोन लिए।
किस बैंक का कितना लोन
सीबीआई के अनुसार डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नाम की इस कंपनी पर बैंक ऑफ इंडिया का करीब 670 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा का 349 करोड़, आईसीआईसीआई बैंक का 280 करोड़ और एक्सिस बैंक का 255 करोड़, इलाहाबाद बैंक का 227.96 करोड़, देना बैंक का 177.19 करोड़, भारतीय स्टेट बैक का 266.37 करोड़, इंडियन ओवरसीज बैंक का 71.59 करोड़, आईएफसीआई बैंक का 58.53 करोड़, एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया का 81.92 करोड़, कॉर्पोरेशन बैंक का 109.11 करोड़, कॉर्पोरेशन बैंक एनसीडी का 8.22 करोड़, देना बैंक एम्प्लाई पेंशन फंड का 9.24 करोड़, देना बैंक एम्प्लाई ग्रैच्यूटी फंड का 4.11 करोड़, टाटा कैपिटल फाइनेंस का 19.90 करोड़, एलएंडटी फाइनंस सर्विसेज का 35.24 करोड़, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का 11.87 करोड़, सिंडिकेट बैंक का 11.26 करोड़, सीएसईबी ग्रैच्यूटी एंड पेंशन फंड का 7.6 करोड़ रुपए बकाया है। सीबीआई के अनुसार कंपनी 2008 से अब तक करीब 11 बैंकों से हजारों करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है। सीबीआई के मुताबिक 29 जून 2016 तक कंपनी पर विभिन्न बैंकों का 2654.40 करोड़ रुपए का बकाया था। सीबीआई ने आपराधिक षड्यंत्र, बैंक से धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज व बैंक खाते के जरिए घोटाले करने का मामला दर्ज किया है।
कैश क्रेडिट से भी ज्यादा रुपया निकाला
सीबीआई के अधिकारियों के अनुसार भुगतान नहीं होने पर इस लोन को 2016-17 में नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट करार दे दिया गया था। बाद में लोन की वसूली के लिए बैंकों का समूह बनाया गया। इस समूह में ऐक्सिस बैंक को टर्म लोन और बैंक ऑफ इंडिया कैश क्रेडिट लिमिट्स के लिए लीड बैंक चुना गया था। आरोप है कि कंपनी के अधिकारियों ने फिर बैंकों के अफसरों से सांठ-गांठ कर क्रेडिट लिमिट बढ़वाई। साथ ही कंपनी ने लिमिट से ज्यादा कैश भी निकाल लिया।
Updated on:
08 Apr 2018 03:13 pm
Published on:
08 Apr 2018 02:52 pm
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