
चीनी कंपनियों की साजिश, अश्लील कंटेंट आैर जाली खबरों से एेसे कर रहे भारतीयों को गुमराह
नई दिल्ली। चीन की कई कंपनियों ने भारत में सीधे मोबाईल एप्लीकेशन लाॅन्च करना शुरु कर दिया है, ताकि अगली पीढ़ी के तेजी से बढ़ते इंटरनेट यूज़र्स को जोड़ा जा सके। चीन के ऐप्स जैसे टिकटाॅक, क्वाई, बीगोलाईव, अपलाईव एवं लाईक भारत में काफी लोकप्रिय हो गए हैं। इनके लोकप्रिय होने का कारण खासकर किशोरावस्था के लड़के-लड़कियों के बीच शाॅर्ट वीडियो के लिए बढ़ता जुनून है।
चीन के ऐप्स किशोर लड़के-लड़कियों को यौन सामग्री दिखा रहे हैं
13 से 19 साल के बीच के युवा लड़के-लड़की किसी गाने पर लिप सिंकिंग करके शाॅर्ट वीडियो बनाने के ट्रेंड को बहुत पसंद कर रहे हैं। ऐसे वीडियो अक्सर यौन रूप से खुले होते हैं और विशेषज्ञों की मानें तो ये ऐप यौन संबंधों के जुनूनियों के लिए शिकार की नई जगह बन गए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि ये ऐप देश के कानून का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि ये बच्चों और किशोरावस्था के लड़के-लड़कियों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। हालांकि इन प्लेटफाॅर्म्स पर डिस्क्लेमर में कहा गया है कि ये ऐप्स बच्चों के लिए नहीं हैं, लेकिन उनके लक्षित ग्राहकों में छोटे व मध्यम शहरों के प्रिटीन्स एवं किशोर बच्चे हैं।
जमकर हो रहा कानून का उल्लंघन
एक अग्रणी मीडिया हाउस ने चीन के 20 से अधिक वीडियो ऐप्स की समीक्षा की, जो छोटे व मध्यम शहरों में मोबाईल एंटरटेनमेंट के नेटवर्क पर छाए हैं। इनकी लोकप्रियता गुदगुदाते वीडियो, विचारोत्तेजक नोटिफिकेशंस, आपत्तिजनक ह्यूमर एवं अश्लील सामग्री के कारण है। लाईव स्ट्रीमिंग एप्लीकेशंस जैसे बीगो लाईव एवं अपलाईव ज्यादातर व्यक्तिगत वार्तालाप पर केंद्रित हैं, लेकिन ये कानून का गंभीर उल्लंघन करते हुए बच्चों को नग्नता दिखाते हैं और वो ऐसे लोगों के जाल में फंस सकते हैं, जो नाबालिगों को आपत्तिजनक कामों के लिए मजबूर कर सकते हैं।
डेटा की गोपनीयता की समस्या
लोकप्रिय लिप सिंक ऐप, टिकटाॅक में 15 सेकंड का मेमे-फ्रेंडली कंटेंट की बहुतायत है, जिसमें यूज़र्स अपने पसंदीदा गानों पर अभिनय कर सकते हैं। ये वीडियो नुकसान रहित होने के अलावा आपत्तिजनक भी हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस यूज़र ग्रुप को फौलो कर रहे हैं।
तेजी से बढ़ते यूज़र बेस के बावजूद टिकटाॅक जैसे ऐप के लिए भारत में शिकायत निवारण कार्यालय अभी तक नहीं है, जबकि सरकार सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म्स के लिए इस बात पर बहुत बल दे रही है। टिकटाॅक सहित इनमें से ज्यादातर ऐप्स साफ कहते हैं कि उनके पास उचित टेक्निकल एवं संस्थानागत व्यवस्थाएं हैं, लेकिन फिर भी वो अपने प्लेटफाॅर्म द्वार आपकी इन्फाॅर्मेशन की सुरक्षा की गारंटी नहीं देते। चीन के ऐप्स की गोपनीयता की नीतियों को पढ़ने से पता चलता है कि वो एक क्लिक, आॅप्ट-इन बटन के साथ काफी ज्यादा डेटा एकत्रित कर लेते हैं। इसमें आपके स्थान की जानकारी, संपर्क, आॅडियो एवं वीडियो रिकाॅर्डिंग की अनुमति एवं नेटवर्क की पूर्ण एक्सेस शामिल है। नोनोलाईव जैसे ऐप्स अपनी गोपनीयता की नीति में भारत के लिए किसी विशेष शर्त का कोई वर्णनण् नहीं करते।
स्थानीय लेकिन असल में स्थानीय नहीं
ऐसे मोबाईल ऐप्स की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है, जो स्थानीय होने का दावा करते हैं, क्योंकि वो ऐप्स स्थानीय भाषा में उपलब्ध हैं। भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होने के कारण उन्हें इस्तेमाल करना फेसबुक या इंस्टाग्राम के मुकाबले ज्यादा आसान है। चूंकि प्राईवेसी पाॅलिसीज़ इंग्लिश में होती हैं और प्राईवेसी पाॅलिसी स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध न होने के कारण कई लोगों को इन ऐप्स का इस्तेमाल करने से होने वाले परिणामों को समझना मुश्किल हो जाता है और वो आसानी से इनके शिकार बन सकते हैं। भारतीय ऐप्स से अलग चीन के ऐप्स में सामान्य गोपनीयता की नीतियां स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए उनके लिए लेयर्ड सहमति न होने से यूज़र्स अगर चाहें तो अपने विशेष दायित्वों से मुकर सकते हैं। शेयरचैट एकमात्र भारतीय क्षेत्रीय सोशल मीडिया ऐप है, जिसकी गोपनीयता की नीति 10 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है।
जाली खबरों का विस्तार
इंटरनेट से हर माह 10 मिलियन भारतीय जुड़ रहे हैं। भारत में 2019 के चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, ऐसे में सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म्स झूठी जानकारी फैलने से रोकने के लिए अपना हर संभव प्रयास कर रहे हैं। लोग आॅनलाईन खबरें ज्यादा देख रहे हैं एवं बाइटडांस का लोकप्रिय ऐस हेलो ने ऐसी एलगोरिद्म विकसित कर ली है, जिसके द्वारा पता चला है कि जाली खबरों द्वारा उत्तेजित अव्यवस्था को उनके ऐप पर ग्राहकों की संलग्नता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह ऐसी सुर्खियों को समझता है, जिन्हें सबसे ज्यादा क्लिक मिलती हैं और उनका उपयोग अपने द्वारा प्रकाशित खबरों के लिए करता है। ये हेडलाईन अक्सर लेख की मुख्य सामग्री के मुकाबले ज्यादा उत्तेजक होती हैं, तथा जातीय या धार्मिक मामलों से जुड़ी होती हैं। इससे ग्राहक को हेडलाईन पढ़ने पर भ्रामक जानकारी मिलती है। यह ऐसी सामग्री को क्योरेट कर ग्राहकों के लिए कंटेंट को लक्षित करता है। चूंकि इंटरनेट का नया उपयोग करने वालों को इस बात के बारे में नहीं मालूम होता कि उनका क्लिक किस प्रकार भविष्य में उनके परामर्शों को प्रभावित करता है, इसलिए वो नहीं समझ पाते कि ऐप उन्हें किस प्रकार प्रभावित कर रहा है।
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Published on:
15 Jan 2019 03:12 pm
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