
नई दिल्ली। कोराना वायरस और उसके बाद देश में चल रहे 21 दिनों के लॉकडाउन ने कई सेक्टर्स को काफी नुकसान पहुंचाया है। कई कंपनियां बंद होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। हजारों एमएसएमई में काम पूरी तरह से ठप है। करोड़ों लोगों की नौकरियां दांव पर लग गई है। कुछ ऐसे ही हालात देश के एविएशन और हॉस्पिटलिटी सेक्टर के देखने को मिल रहे हैं। जिसमें काफी नुकसान देखने को मिला है। इसी वजह से से देश के प्राइवेट एयरपोर्ट संचालकों के साथ काम करने वाले दो लाख से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है।
2.40 लाख नौकरियों पर खतरा
एसेसिएशन ऑफ प्राइवेट एयरपोर्ट ओपरेट्र्स ने केंद्र से आग्रह किया है कि वह न केवल आर्थिक रूप से राहत पैकेज दे, बल्कि सेक्टर को बरकरार रखने वाली प्रमुख आधारभूत संपत्तियों को बनाए रखे। मौजूदा समय में, हवाई अड्डे साइटों पर काम कर रहे करीब 2,40,000 लोगों की नौकरियां खतरे में हैं, जिसमें हवाई अड्डे संचालन के कर्मचारी भी शामिल हैं। छंटनी के प्रभाव को पूरे देश में महसूस किया जाएगा, क्योंकि नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और हैदराबाद ऐसे कुछ बड़े हवाईअड्डे हैं, जिसे निजी प्रतिष्ठान संभालते हैं।
एयरलाइन कंपनियों को हो रहा है नुकसान
मौजूदा समय में 14 अप्रैल लॉकडाउन की समयसीमा तक किसी घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की इजाजत नहीं है। केवल कार्गो संचालन की इजाजत दी गई है,जिससे इन विमानन कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है। इन विमानन कंपनियों की न केवल आय कम हुई है, बल्कि इनके उपर संबंधित हवाई अड्डे से जुड़े कई प्रबंधन सौदों के राजस्व को चुकाने का भारी दबाव है।
सरकार से की है राहत पैकेज की मांग
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट एयरपोर्ट ऑपरेट्र्स के महासचिव सत्यन नायर के अनुसार हमने सरकार से निजी हवाई अड्डा संचालकों के लिए कुछ राहत के उपाय करने का अनुरोध किया है, जो कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण हवाई अड्डों पर पडऩे वाले वित्तीय बोझ को सीधे कम करेगा। उन्होंने कहा कि किसी भी राहत के उपायों के अभाव में, यह केवल कुछ दिनों का मामला होगा, न कि महीनों का, क्योंकि संचालकों को लागत बनाए रखने के लिए भारी कटौती की ओर बढऩा पड़ सकता है। राहत अभी दिए जाने की जरूरत है।
Updated on:
06 Apr 2020 11:01 am
Published on:
06 Apr 2020 08:16 am
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