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सस्‍ते हवाई सफर को झटका, फंड के अभाव में सभी मार्गों पर नहीं शुरू होगी उड़ान

'उड़ान' के दूसरे चरण के तहत जिन 502 मार्गों के लिए निविदा प्राप्त हुई है उनमें सभी का आवंटन नहीं किया जाएगा।

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Udan Scheme

नई दिल्ली. छोटे शहरों से सस्ती हवाई यात्रा के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) 'उड़ान' के दूसरे चरण के तहत जिन 502 मार्गों के लिए निविदा प्राप्त हुई है उनमें सभी का आवंटन नहीं किया जाएगा। नागर विमानन मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि क्षतिपूर्ति या वायेबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के लिए बनाए गए कोष में पर्याप्त पैसा नहीं होने के कारण सभी मार्गों का आवंटन नहीं किया जाएगा।


प्राथमिकता के आधार पर शुरू हीगी सेवा
किन मार्गों का आवंटन करना है इसके लिए कुछ पैमाने तय किए गए हैं। जिन मार्गों पर ऑपरेटरों ने शून्य क्षतिपूर्ति मांगी है और जो मार्ग प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को जोड़ते हैं आवंटन में उन्हें तरजीह दी जाएगी। 'उड़ान' के तहत सरकार ने दूरी के हिसाब से अधिकतम किराया तय कर दिया है। इससे विमान सेवा कंपनी को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए वीजीएफ कोष बनाया गया है। बड़े शहरों के बीच उड़ान वाले मुख्य मार्गों पर 5,000 रुपये प्रति उड़ान की दर से शुल्क लगाकर इस कोष के लिए पैसा एकत्र किया जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि दूसरे चरण में आवंटन के दौरान यह भी ध्यान रखा जायेगा कि जिन हवाई अड्डों को छह महीने के भीतर तैयार किया जा सकता है उन्हीं से जुड़े मार्गों का आवंटन हो।

उल्लेखनीय है कि उड़ान के पहले चरण में 30 मार्च को 128 मार्गों का आवंटन किया गया था। इन पर छह महीने के भीतर सेवा शुरू की जानी थी। इनमें करीब 25 प्रतिशत पर ही अभी सेवा शुरू हो पाई है। अन्य मार्गों पर कहीं हवाई अड्डा तैयार नहीं होने के कारण, तो कहीं विमान सेवा कंपनी की तरफ से देरी के कारण सेवा शुरू नहीं हो पाई है।


502 रूटों के लिए प्रस्‍ताव मिला
कुल 18 ऐसे हवाई अड्डे/हवाई पट्टियां हैं जन पर ज्यादा काम किया जाना है और इनके उड़ान के लिए तैयार होने में करीब तीन महीने का समय और लग सकता है। दूसरे चरण में काउंटर बिडिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और 5 दिसंबर को निविदाएं खोली गई हैं। कुल 502 रूटों के लिए 140 से ज्यादा प्रस्ताव मिले हैं। इसमें 18 ऑपरेटरों ने बोली लगाई है। आरंभिक बोली प्रक्रिया में 20 और काउंटर बिडिंगग में 16 प्रस्ताव ऐसे मिले हैं जहां ऑपरेटरों ने कोई क्षतिपूर्ति नहीं मांगी है।