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नोटबंदी, जीएसटी से छोटे उद्योगों को तगड़ा झटका लोन डिफॉल्ट हुआ दोगुना

locationनई दिल्लीPublished: Sep 04, 2018 08:20:51 am

Submitted by:

Manoj Kumar

एक आरटीआई के जवाब में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

GST

बड़ा खुलासा: नोटबंदी, जीएसटी से छोटे उद्योगों का लोन डिफॉल्ट हुआ दोगुना

नई दिल्ली। केंद्र सरकार भले ही नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से अर्थव्यवस्था को गति मिलने की बात कह रही हो लेकिन रिजर्व बैंक की रिपोर्ट इसकी उलटी हकीकत बयान कर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी के बाद से छोटे उद्योगों का लोन डिफॉल्ट दोगुना हो गया है। नोटबंदी से पहले लिए गए कर्जों पर मार्च 2017 तक डिफॉल्ट मार्जिन 8249 करोड़ रुपए था। मार्च 2018 में यह मार्जिन 16118 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। काबिल ए गौर है कि एमएसएमई सेक्टर को दिए लोन में रकीब 65 फीसदी हिस्सा सरकारी बैंकों का ही है।
बीते साल मार्च में बढ़े लोन डिफॉल्ट के मामले

एक आरटीआई से मिले जवाब में आरबीआई ने बताया है कि लोन डिफॉल्ट्स के मामले बीते साल मार्च से ज्यादा बढ़े हैं। रिजर्व बैंक के अनुसार, छोटे उद्योगों को दिए जाने वाले आउटस्टैंडिंग एडवांस में पिछले साल के मुकाबले 6.72 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। यह 9,83,655 करोड़ रुपए से बढ़कर 10,49,796 करोड़ रुपए हो गया है। इसके अलावा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के अध्ययन में भी पाया गया है कि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद एमएसएमई के कर्ज में गिरावट आई। हालांकि, मार्च 2018 से इसमें सुधार दिखाई दे रहा है।
अगस्त में भी सुस्त रहीं विनिर्माण गतिविधियां

उत्पादन घटने और नए ऑर्डर में आई कमी से देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में लगातार दूसरे माह गिरावट दर्ज की गई, इससे इसका निक्की पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) अगस्त में घटकर 51.7 पर आ गया। इससे पहले जुलाई में सूचकांक 52.3 रहा था। सूचकांक का 50 से ऊपर रहना विनिर्माण गतिविधियों में तेजी और इससे नीचे रहना गिरावट को दर्शाता है। निक्की की ओर से सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचकांक में आई गिरावट का सबसे बड़ा कारण उत्पादन घटना और नए ऑर्डरों में कमी रहा है। रिपोर्ट की लेखिका और मार्किट इकोनॉमिक्स की अर्थशास्त्री आशना डोढिया ने कहा कि अगस्त का आंकड़ा भारत के विनिर्माण क्षेत्र के विकास की गति कम होने की ओर संकेत करता है। यह उत्पादन और नए ऑर्डरों में कमी को दर्शाता है। हालांकि, मांग इस दौरान अच्छी रही है। विदेशों में भी मांग में सुधार रहा है और फरवरी के बाद पहली बार निर्यात ऑर्डर इतनी तेजी से बढ़े हैं।
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