
Paytm पर मंडरा रहे संकट के बादल, रिलायंस के कारण ठप्प हो सकता है भारत में ई-कॉमर्स का सपना
नई दिल्ली। देश को डिजिटल बनाने के लिए कई तरह के एप को लॉन्च किया गया, जिसमें पेटीएम एक खास एप के रुप में सामने आया था। आज से करीब दो साल पहले पेटीएम के फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने अलीबाबा के मॉडल से प्रेरित होकर ई-कॉमर्स को बढ़ावा दिया था। ग्राहकों को डिजिटल बनाने के लिए कंपनी ने ग्राहकों को सामान पर भारी छूट दी। इसके साथ ही कैशबैक के ऑफर भी ग्राहकों को दिए, जिससे ग्राहक इस एप की ओर आकर्षित होने लगे, लेकिन आज देश में पेटीएम के हालात कुछ ठीक नहीं हैं।
नकदी के संकट से जूझ रही पेटीएम मॉल
काउंटर प्वाइंट रिसर्च में सीनियर एनालिस्ट पॉवेल नैया ने कहा कि यह अल्पावधि की रणनीति थी, लेकिन भारत जैसे कीमतों को लेकर संवेदनशील बाजार में इससे लंबी अवधि में लाभ कमाना मुश्किल काम था क्योंकि लाभ कई कारकों पर निर्भर करता है। इसके साथ ही नैया ने जानकारी देते हुए कहा कि जैसे ही कैशबैक गायब हुआ, ग्राहक भी गायब हो गए। इसके बाद कम मार्जिन और ई-कॉमर्स में बड़ी नकदी के संकट से जूझ रही पेटीएम मॉल ने छोटे विक्रेताओं के लिए ऑनलाइन से ऑफलाइन (ओ-टू-ओ) मंच बनने के लिए अपनी रणनीति बदलना शुरू कर दिया।
रिलायंस बन सकता है मुसीबत का सबब
इसके साथ ही रिलायंस के उरतने की घोषणा के बाद से ही पेटीएम और उसके मालिकों की चिंता और भी ज्यादा बढ़ गई है। पिछले साल नवंबर में मेक इन ओडिशा सम्मेलन में रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा कि रिलायंस दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन-टू-ऑफलाइन न्यू कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने पर विचार कर रही है। रिलायंस रिटेल के पूरे भारत में 10,000 आउटलेट हैं, जिसका रिलायंस को अवश्य लाभ मिलेगा और यह रिटेल क्षेत्र की अन्य कंपनियों के लिए चिंता का सबब होगी।
रिलायंस के पास असीमित संसाधन है
फोरेस्टर रिसर्च के सीनियर एनालिस्ट सतीश मीना ने जानकारी देते हुए बताया कि रिलायंस के पास पूंजी, असीमित क्षमता, व्यापक रिटेल आउटलेट, और संसाधन हैं, जिससे वह प्रतिस्पर्धा को ही समाप्त कर सकती है। मुकेश अंबानी का मकसद देश में रिटेल क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल करना है और वह यह काम उसी तरह आसानी से कर सकते हैं जिस तरह उन्होंने रिलायंस जियो के लिए किया।
पेटीएम का बढ़ा घाटा
वित्त वर्ष 2018 में पेटीएम मॉल का घाटा बढ़ गया और कंपनी को करीब 1,800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। फोरेस्टर रिसर्च के अनुसार, पेटीएम की बाजार हिस्सेदारी 2018 में पिछले साल से घटकर करीब आधी रह गई। मतलब 2017 में जहां कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 5.6 फीसद थी वह 2018 में घटकर तीन फीसदी रह गई।
आगे भी पेटीएम मॉल को चलाएंगे
पेटीएम के सीईओ ने कहा कि वह भारी प्रतिस्पर्धा के बावजूद भी पेटीएम मॉल को चलाना चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ विश्लेषक इसे आखिरी दौर में देख रहे हैं और उनका मानना है कि अब डिजिटल पेमेंट मार्केट पर ध्यान लगाना चाहिए जिस पर अलीबाबा का हमेशा जोर रहा है। वहीं, साइबर मीडिया रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट थॉमस जॉर्ज ने कहा कि मुझे इस बात में कोई हैरानी नहीं होगी कि भारत में ई-कॉमर्स बाजार में अवसर बनाए रखने के लिए रिलायंस या अलीबाबा का लक्ष्य पेटीएम का अधिग्रहण करना होगा।
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Published on:
04 May 2019 12:16 pm
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