
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अप्रैल को बिहार के मधेपुरा के रेल इंजन कारखाने से देश के पहले 12,000 हॉर्सपावर (एचपी) के इलेक्ट्रॉनिक रेल इंजन को रवाना करेंगे। इस लॉन्च के साथ भारत रूस, चीन, जर्मनी और स्वीडन सहित उन देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा, जिनके पास 12,000 एचपी या इससे ज्यादा की क्षमता वाला विद्युत रेल इंजन है।
ढुलाई की क्षमता में करेगा सुधार
भारतीय रेल के पास अब तक सबसे ज्यादा क्षमता वाला 6,000 एचपी का रेल इंजन रहा है। प्रतिघंटा अधिकतम 110 किलोमीटर की रफ्तार से भारी ढुलाई करने में सक्षम रेल इंजन मालगाड़ियों की रफ्तार और उनके माल ढुलाई की क्षमता में सुधार करेगा।
20,000 करोड़ की परियोजना का करेंगे उद्घाटन
मोदी राष्ट्र को फ्रांसीसी कंपनी एल्सटॉम के निवेश के साथ संयुक्त उद्यम से बना मधेपुरा कारखाना भी समर्पित करेंगे। 20,000 करोड़ रुपये की परियोजना के अंतर्गत 11 वर्षो की अवधि में कुल 800 उन्नत हॉर्सपावर रेल इंजन बनने की उम्मीद है।
दो रेल इंजन रखरखाव डिपो वाली परियोजना
800 रेल इंजन बनाने के अलावा मधेपुरा में कारखाना स्थापित करने और सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) और नागपुर (महाराष्ट्र) में दो रेल इंजन रखरखाव डिपो स्थापित करने वाली परियोजना की कुल लागत 1,300 करोड़ रुपये है। हर रेल इंजन की अनुमानित औसत लागत करीब 25 करोड़ रुपये है।
'मेक इन इंडिया' के तहत बनेंगे 795 रेल इंजनों
अनुबंध समझौते के अनुसार, पहले पांच रेल इंजनों का आयात किया जाएगा, जबकि बाकी 795 रेल इंजनों का निर्माण देश में 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत किया जाएगा। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारी-ढुलाई वाले रेल इंजनों को कोयला और लौह अयस्क के परिवहन में इस्तेमाल में लाया जाएगा।
2015 में किया था करार
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल ने मधेपुरा स्थित लोकोमोटिव कारखाने में संयुक्त उपक्रम के तहत अगले 11 साल में 800 ऐसे इंजन तैयार करने का करार नवंबर 2015 में किया था। यह रेल विभाग में पहला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई है।
Published on:
07 Apr 2018 02:47 pm
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