
प्रभु ने वित्तमंत्री से कहा निर्यातकों की फंड की कमी को करें दूर
नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि उन्होंने निर्यातकों को रही फंड की कमी का मुद्दा वित्तमंत्री के समक्ष उठाया है और उनसे गुजारिश की है कि वे उन्हें पर्याप्त धन की उपलपब्धता सुनिश्चित करें। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों से संकेत मिले हैं कि हाल के महीनों में निर्यात ऋण की वृद्धि दर घटी है। एक अनुमान के मुताबिक, इस साल 31 मार्च तक नियार्तकों को दिया गया कुल कर्ज 28,300 करोड़ रुपए था, जो 22 जून को घटकर 22,300 करोड़ रुपए हो गया।
प्रभु ने ये बातें यहां अगले साल जनवरी में होनेवाले 'लॉजिक्स इंडिया 2019' वैश्विक लॉजिस्टिक्स सम्मेलन की घोषणा के मौके पर कही। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन ने बार-बार निर्यात क्षेत्र को दिए जानेवाले कर्ज में बढ़ोतरी के लिए कहा है, ताकि निर्यातकों का कारोबार प्रभावित नहीं हो। नियार्तकों को कर्ज में कमी इसलिए महसूस की जा रही है, क्योंकि समुची अर्थव्यवस्था में ही तरलता की कमी है, जिससे औद्योगिक विकास दर प्रभावित हो रहा है और इसे लेकर हाल ही में सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बीच तकरार देखी गई थी।
आपको बता दें कि देश में माल परिवहन का वैश्विक स्तर का बुनियादी ढ़ांचा विकसित करने और इसके लिये प्रौद्योगिकी तथा निवेश की संभावनायें तलाशने अगले वर्ष जनवरी में यहां एक अंतरराष्ट्रीय ‘लॉजिक्स इंडिया 2019’ आयोजित किया जाएगा, जिसमें तकरीबन 20 देशों की हिस्सेदारी होगी। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने एक कार्यक्रम में इस सम्मेलन के लिए प्रतीक चिह्न और पुस्तिका का लोर्कापण किया। सम्मेलन का आयोजन भारतीय निर्यातक महासंघ (फियो) करेगा। सम्मेलन का अायोजन 31 जनवरी से दो फरवरी 2019 तक होगा।
प्रभु ने इस अवसर पर कहा कि भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और पूरे विश्व से जुड़ने के लिये भारत काे वैश्विक स्तर का माल परिवहन ढ़ांचा चाहिए। इससे भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार सरल होगा और उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।
फियो के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि 20 से अधिक देशों ने सम्मेलन में अपने प्रतिनिधिमंडल भेजने की सहमति जताई दी। भाग लेने वाले प्रतिनिधिमंडलों की संख्या 100 से अधिक हो सकती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक माल परिवहन ढ़ांचा विकसित करने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग में इजाफा होगा और घरेलू स्तर पर विनिर्माण उद्याेग को बढ़ावा मिलेगा तथा रोजगार के अवसर सृजन होगा। उन्होंने कहा कि तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में बुनियादी ढ़ांचे के विकास, भंडारण, प्रौद्योगिकी और आईटी और कौशल विकास पर जोर दिया जाएगा।
Published on:
28 Nov 2018 08:53 am
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