
नर्इ दिल्ली। लालकिले की देखभाल के लिए डालमिया भारत लिमिटेड के साथ हुए करार को लेकर हुए विवाद के बीच पर्यटन मंत्रालय ने शनिवार को एक बड़ा खुलासा किया है। खुद पर्यटन मंत्रालय ने इस डील को लेकर ये स्पष्ट किया कि उसने कोई निविदा जारी नहीं की है। यह ठेका सिर्फ पर्यटन सुविधाओं के विकास, परिचालन और रखरखाव को लेकर दिया गया है। हालांकि एेसे में इस डील पर
राजस्व उतपन्न करने वाली परियोजन नहीं
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "समझौता ज्ञापन के तहत गैर प्रमुख क्षेत्रों में सीमित अधिकार दिया है और स्मारक का रखरखाव इसमें शामिल नहीं है। यह स्पष्ट किया जाता है कि 'एक स्मारक को गोद लें' अनिवार्य रूप से राजस्व उत्पन्न करनेवाली परियोजना नहीं है।" मंत्रालय ने कहा कि 'एक स्मारक को गोद लें : अपनी धरोहर अपनी पहचान' मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच एक सहयोगी प्रयास है, जिसका लक्ष्य सभी भागीदारों के 'जिम्मेदार पर्यटन' को बढ़ावा देने के लिए सहक्रियता विकसित करना है।
आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएंगी कंपनियां
बयान में कहा गया कि यह जिम्मेदार पर्यटन का हिस्सा है, जहां कॉरपोरेट सामाजिक भागीदारी का कोष स्मारकों के रखरखाव पर खर्च किया जाता है। इस समझौते के तहत कंपनियां आधारभूत सुविधाएं जैसे पीने का पानी, सार्वजनिक शौचालय, दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
अडाॅप्ट ए हेरिटेज स्कीम के तहत डालमिया ग्रुप को मिला लाल किला
अापको बता दें कि केन्दर सरकार की "अडाॅप्ट ए हेरिटेज" स्कीम के तहत एेतिहासिक लाल किले को डालमिया ग्रुप ने गोद लिया है। देश के इस एेतिहासिक धरोहर को संवारने आैर रख-रखाव के लिए डालमिया ग्रुप ने 25 करोड़ रुपए की डील की है। जिसके बाद ये ग्रुप किसी भी एेतिहासिक धरोहर को गोद लेने वाला पहला काॅरपोरेट हाउस भी बन गया। इसे डालमिया ग्रुप ने इंडिगो एयरलाइंस आैर जीएमआर ग्रुप को हराकर जीता है। दरअसल सरकार ने अडाॅप्ट ए हेरिटेल स्कीम को सितंबर 2017 में लाॅन्च किया था जिसके तहत देशभर के 100 एेतिहसिक स्मारकों के लिए ये लागू किया गया था।
Published on:
29 Apr 2018 12:17 pm
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