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BPCL को खरीद सकता है Reliance Industries, आज है बोली की आखिरी तारीख

सरकार बीपीसीएल से अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी जा रही है बेचने
करीब 70 हजार करोड़ रुपए तक लग सकती है बोली, वसूली में लगेंगे 9 साल

Nov 16, 2020 / 11:59 am

Saurabh Sharma

Ril gained nearly 60000 cr, TCS increased by 23,500 cr in last week

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नई दिल्ली। भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी बीपीसीएल के प्राइवेटाइजेशन के लिए आज यानी सोमवार को बोली लगाने का आखिरी दिन है। ऐसे में ब्रिटेन, फ्रांस की कंपनियां और सउदी अरामको अब बोलियां नहीं लगा पाएंगी। खास बात तो ये है कि इस कंपनीमें रिलायंस ग्रुप इंस्ट्रस्ट दिखा सकता है। इसके पीछे कई तरह के तर्क भी दिए जा रहे हैं। आपको बताा दें कि रकार बीपीसीएल से अपनी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का मन बना चुकी है। सरकार पहले ही इस बात के संकेत दे चुकी है कि बोली की तारीख को आगे की ओर नहीं खिसकाया जाएगा।

नहीं बढ़ाई जाएगी बोली की आखिरी डेट
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग की ओर से पहले ही साफ कर दिया गया था कि अब बोली के लिए आखिरी डेट को आगे की ओर नहीं खिसकाया जाएगा। ऐसे में ब्रिटेन की बीपी और और फ्रांस की टोटल कंपनी के बिड लगाने की संभावना पर विराम सा लग गया है। वहीं दूसरी ओर रूस की प्रमुख ऊर्जा कंपनी रोजनेफ्ट या उसकी सहयोगी और सउदी अरब की तेल कंपनी भी बोली की रकम से डर गई हैं। ऐसे में वो भी इससे दूर ही रहेंगी। उनका कहना हिै कि कोविड काल में तेल की मांग काफी कम हो गई है। ऐसे में 10 अरब अमरीकी डॉलर की बोली कंपनी के लिए काफी ज्यादा है।

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करीब 70 हजार करोड़ रुपए की कंपनी
अगर बात कंपनी की कीमत करें तो बांबे स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी का शेयर प्राइस 412.70 रुपए के बंद भाव पर बीपीसीएल में सरकार की 52.98 फीसदी की हिस्सेदारी के आधार पर 47,430 करोड़ रुपए की है। वहीं खरीदार को जनता से 26 फीसदी खरीदने के लिए खुली पेशकश करनी होगी, जिसकी लागत 23,276 करोड़ रुपए आंकी गई है। यानी कंपनी की कुल कीमत के लिए करीब 70 हजार करोड़ रुपए चुकाने होंगे। वहीं दूसरी इन्हें वसूलने की बात करें तो बीपीसीएल को सालाना 8 हजार करोड़ रुपए का प्रॉफिट भी होता है। गर यही एवरेज प्रॉफिट रहता है तो खरीदार को कीमत वसूलने के लिए करीब 8 से 10 साल लग जाएंगे।

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रिलायंस की क्यों हो रही है चर्चा
इस डील में रिलायंस की चर्चा काफी जोरों से हो रही है। इसका कारण बताते हुए जानकार कहते हैं कि इस तरह का निवेश उन कंपनियों के लिए फायदेमंद होता है जो कंपनी के कारोबार के साथ ही ऑपरेशनल एफिशिएंसी और मौजूदा कारोबार के साथ बैलेंस कर प्रॉफिट को बढ़ा सकती है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड में वो सारी काबिलियत दिखाई देती है। रिलायंस गुजरात स्थित जामनगर में दुनिया के सबसे बड़े ऑयल रिफाइनिंग कांप्लेक्स का संचालन करती है और खुदरा कारोबार को भी बढ़ाना चाहती है। वहीं दूसरी ओर आरआईएल भी बीपीसीएल को लेकर पूरी तरह से चुप है। इस मामले में कोई कमेंट नहीं किया है।

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