
नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक में करीब 13 हजार करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद अन्य बैंकों में घोटाले सामने आने का सिलसिला जारी है। इस बार वडोदरा की कंपनी की ओर से करीब 2,654 करोड़ रुपए का घोटाला करने का मामला सामने आया है। डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नाम की इस कंपनी ने 11 बैंकों के कंसोर्टियम से यह धनराशि ली थी। अब इस मामले में शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। इस मामले में सीबीआई ने कंपनी के निदेशकों के घरों और दफ्तरों पर छापामार कार्रवाई भी की गई है। सीबीआई के अनुसार एस एन भटनागर इस कंपनी के प्रमोटर हैं जबकि सुमित भटनागर कंपनी में एक्जीक्यूटिव हैं।
बैंक अफसरों से मिलीभगत कर पास कराए करोड़ों के लोन
सीबीआई के अनुसार कंपनी के अधिकारियों ने बैंक अफसरों से मिलीभगत कर 2008 से एक मॉडस ऑपरेंडी के जरिए सैंकड़ों करोड़ रुपए के लोन पास कराए। इसके बाद कंपनी के प्रमोटर एसएन भटनागर और सुमित भटनागर ने फर्जी दस्तावेज, बैंक खातों और कंपनी की बैलेंस शीट दिखाकर सरकारी व गैर-सरकारी बैंकों से कई लोन लिए।
किस बैंक का कितना लोन
सीबीआई के अनुसार डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नाम की इस कंपनी पर बैंक ऑफ इंडिया का करीब 670 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ बड़ौदा का 349 करोड़, आईसीआईसीआई बैंक का 280 करोड़ और एक्सिस बैंक का 255 करोड़ रुपए बकाया है। सीबीआई के अनुसार कंपनी 2008 से अब तक करीब 11 बैंकों से हजारों करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है। सीबीआई के मुताबिक 29 जून 2016 तक कंपनी पर विभिन्न बैंकों का 2654.40 करोड़ रुपए का बकाया था। सीबीआई ने आपराधिक षड्यंत्र, बैंक से धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज व बैंक खाते के जरिए घोटाले करने का मामला दर्ज किया है।
कैश क्रेडिट से भी ज्यादा रुपया निकाला
सीबीआई के अधिकारियों के अनुसार भुगतान नहीं होने पर इस लोन को 2016-17 में नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट करार दे दिया गया था। बाद में लोन की वसूली के लिए बैंकों का समूह बनाया गया। इस समूह में ऐक्सिस बैंक को टर्म लोन और बैंक ऑफ इंडिया कैश क्रेडिट लिमिट्स के लिए लीड बैंक चुना गया था। आरोप है कि कंपनी के अधिकारियों ने फिर बैंकों के अफसरों से सांठ-गांठ कर क्रेडिट लिमिट बढ़वाई। साथ ही कंपनी ने लिमिट से ज्यादा कैश भी निकाल लिया।
Published on:
06 Apr 2018 01:57 pm
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