गरीबों के लिए बनना थे 153 मकान, 33 मकान अब तक लापता, जिम्मेदारों ने भी हटाया ध्यान
-एक दशक में अब तक केवल 120 मकान ही बन पाए
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इटारसी। आईएचएसडीपी योजना को लापरवाही और भ्रष्टाचार की दीमक चाट गई है। एक दशक बाद भी यह योजना अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इस योजना के तहत बाकी के 33 मकान और 3 सामुदायिक भवन अब तक धरातल पर नहीं आए हैं। कंस्ट्रक्शन एजेंसी पर कार्रवाई करने की जगह नपा के जिम्मेदारों ने एजेंसी को अभयदान दे रखा है।
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यह है मामला
एकीकृत मलिन बस्ती आवास परियोजना यानी आईएचएसडीपी के तहत शहर में १५३ मकान स्वीकृत हुए थे। इस योजना के तहत प्रति हितग्राही 1 लाख 20 हजार रुपए की राशि ली जाना थी। सबसे पहले यह काम वर्ष 2010 में भोपाल की कंपनी एश्वर्या एसोसिएट्स के पास था। जिसने 100 मकान बनाकर काम से हाथ खींच लिए थे।
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५३ मकानों के रिस्क एंड कॉस्ट पर टेंडर
पहले वाली कंस्ट्रक्शन एजेंसी के काम छोडऩे के बाद बाकी के 53 मकानों को बनाने के लिए रिस्क एंड कॉस्ट पर टेंडर पर हुए थे जिसमें 119 फीसदी ज्यादा दर पर काम श्याम बिल्डकॉन को दिया गया था। इस दर के हिसाब से प्रति हितग्राही से 2 लाख 20 हजार रुपए की वसूली की जाती। इस ठेकेदार ने भी उन ५३ मकानों में से केवल 20 मकानों का काम ही किया बाकी के ३३ मकानों का आज तक कुछ अता-पता नहीं है।
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सामुदायिक भवन नहीं बने
योजना के तहत अकेले ३३ मकान ही नदारत नहीं है बल्कि 3 जो सामुदायिक भवन सहित कुछ अन्य काम भी होना थे वे भी आज तक नहीं हो पाए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन कामों में लापरवाही करने वाले ठेेकेदारों के खिलाफ नपा के जिम्मेदारों ने अब तक कोई कठोर कदम नहीं उठाया है।
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इनका कहना है
हमारी तरफ से कोई लापरवाही नहीं हो रही है। नपा के पास जगह ही नही है। नपा हमें बाकी बचे हुए 33 मकानों का एकसाथ लेआउट बनाकर दे दे हम दूसरे दिन से ही काम चालू कर देंगे।
अक्षत अग्रवाल, प्रोपराइटर श्याम बिल्डकॉन
हम उस प्रोजेक्ट की फाइल निकलवा लेते हैं। उसमें देख लेते हैं कि कहां कितना काम बाकी है। उसके बाद ठेकेदार से काम पूरा करने के लिए कहा जाएगा। काम नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सीपी राय, सीएमओ इटारसी
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