- सब्जियों के दाम में आग : बारिश से फसल खराब, न्यूनतम 40 रुपए किलो से ऊपर भाव, जो ग्राहक आ रहे हैं वे भी कम मात्रा में खरीद रहे सब्जी, गृहणियां परेशान. एक माह पहले 50 में 2.5 किलो मिल रहे थे टमाटर.
इटारसी. लगातार सब्जियों में लगी आग ने घरों का बजट बिगाड़ दिया है, तो बाजार में रेट सुनकर ग्राहक भी गायब होने लगे हैं। उधर थालियों में हरी सब्जी की जगह चना, छोले, पनीर आदि दिखने लगा है। वही विक्रेताओं का कहना है कि लोकल में केवल भिड्डी आ रही है, बाकी सब्जियां छिदंवाड़ा, महाराष्ट्र से आ रही है।
विक्रेताओं के अनुसार सब्जियों में लगी आग अभी दो माह तक रहेगी। उसके बाद लोकल सब्जियों के आते ही कीमतें गिरनी शुरू हो जाएगी। शहर के बड़े थोक और चिल्हर सब्जी मंडी में भाव आसमान को छूने लगे हैं। भावों को सुनते ही ग्राहक को करंट लग रहा है अधिकतर ग्राहक भाव पूछकर धीरे से निकल जा रहे हैं, तो कुछ ऐसे ग्राहक जो एक किलो सब्जी खरीदते थे, भाव सुनकर आधा किलो, तो आधा किलो सब्जी खरीदने वाले ग्राहक एक पाव खरीद रहे हैं। सब्जी विक्रेता अरविंद महतो ने बताया कि कोई भी सब्जी 40 से 60 रुपए किलो से नीचे नहीं है।
महतो ने बताया कि क्षेत्र में बारिश भले ही कम है, पर नर्मदापुरम में इस समय महाराष्ट्र, छिंदवाड़ा तरफ से सब्जियां आती है। उधर भारी बारिश से बाढ़ आने से खेतों में उगी सब्जियां खराब हो गई। इसी तरह दक्षिण भारत और छत्तीसगढ़ से आने वाली सब्जियां भी फसलों के खराब होने से नहीं आ रही है। वहां के किसान ही ऊंची कीमतों में सब्जी बेच रहे हैं, जोकि यहां आते तक मंहगी हो जाती है।
इटारसी के वाल्मीकि सब्जी मंडी में पहले जहां दोपहर से ही सब्जी खरीदने महिलाओं की भीड़ लग जाती थी, वहीं अब बहुत कम महिलाएं नजर आ रही है। सब्जियों के अलावा दालें भी मंहगी होने से घरों के रसोई घर का बजट बिगड़ गया है।
सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि बाजार में सबसे अधिक कीमत टमाटर की है। जो टमाटर जून में 50 रुपए के 2.5 किलो बिक रहे थे, वह इसी कीमत पर 250 ग्राम मिल रहा है। टमाटर अभी दक्षिण के बैंगलूरु तरफ से आ रहा है। इसलिए मंहगा है। इसकी लोकल फसल सितंबर में बाजार में आएगी, तभी इसके भाव कम हो जाएंगे। टमाटर मंहगा होने से इसके खरीददार भी नहीं रहे। होटल वालों ने तो टमाटर खरीदना ही बंद कर दिया है।
महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और दक्षिण में बारिश से फसल को नुकसान
सब्जी विक्रेता महतो ने बताया कि बारिश के दिन में क्षेत्र की सब्जियां ना के बराबर होती है। क्योंकि किसान खेतों में धान की बोआई कर देते हैं। इसलिए बाहरी राज्यों से आने वाली सब्जियों पर हम निर्भर रहते हैं। चूंकि इस बार वहां भी भारी बारिश होने से सब्जियों की फसल को नुकसान पहुंचा है। इसलिए वही सब्जियों के महंगी होने यहां उसका असर देखने को मिल रहा है। महतो ने बताया कि इटारसी में गिनेचुने केवल बड़े विक्रेता ही सब्जियां मंगा पा रहे हैं, वही छोटे विक्रेता सब्जियों की जगह फल बेच रहे हैं।
बाजार में सब्जियां एकदम से मंहगी हो जाएगी, सोचा नहीं था। जून तक हम दोनों समय दो-दो प्रकार की सब्जियां खाते थे। अब एक ही बना पा रहे हैं। उसमें भी टमाटर, लहसून का तड़का नहीं लगा पा रहे हैं। मध्यम वर्ग परेशान है। सरकारें भी कुछ नहीं कर रही है।
- रीना अहिरवार, न्यू यार्ड, इटारसी
बाजार में सब्जियां एकदम से मंहगी होने से थालियों से गायब हो गई है। गृहणियों का घरेलू बजट बिगड़ गया है। पनीर से महंगी हो गई सब्जियां। अब तो छोले- चना और आचार ही सहारा रह गया है। शहर ही नहीं, गांवों में भी सब्जियां महंगी बिक रही है।
- शिरीन आठनेरे, गृहिणी व जनपद सदस्य, मेहरागांव.
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ये हैं भाव प्रति किलो
टमाटर 180 से 200
भिड्डी 60 से 80
शिमला मिर्च 80 से 100
गिलकी 50 से 60
परवल 60 से 80
मुनगा 80
बैगन 40 से 60
अदरक 200
लौकी 40 से 60
लहसून 200
हरी मिर्च 80-100
हरी धनिया 100