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इटारसी के छोटे से गांव की पाठशाला – खिलौनौ के साथ खेल-खेल में सीख रहे गणित-विज्ञान

- मेहरागांव की शिक्षिका लक्ष्मी दुबे का कहना है कि नवाचार से बच्चे पढ़ने में लेते हैं रुचि.

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इटारसी के छोटे से गांव की पाठशाला - खिलौनौ के साथ खेल-खेल में सीख रहे गणित-विज्ञान

इटारसी के छोटे से गांव की पाठशाला - खिलौनौ के साथ खेल-खेल में सीख रहे गणित-विज्ञान

इटारसी. मेहरागांव के शासकीय प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका लक्ष्मी दुबे बच्चों को खेल- खेल में खिलौनों के माध्यम से पढ़ाते हुए नवीन तकनीकी से उनके ज्ञान में वृद्धि कर रही हैं। वे कहती हैं कि नवाचार करने से ही प्राइमरी स्कूल के बच्चे पढ़ने में रुचि लेते हैं।

छिंदवाड़ा में जन्मी लक्ष्मी ने स्नातकोत्तर राजनीति शास्त्र में एवं बीएड की शिक्षा के बाद शासकीय की सेवा में 1 अप्रेल 1989 से है। इनके पति भुवनेश्वर दुबे भी मेहरागांव हासे स्कूल में वरिष्ठ शिक्षक हैं। उन्होंने बताया शासकीय प्राथमिक शाला मेहरा गांव में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ हुई। मुझे प्राथमिक शाला में पहली से पांचवी तक प्रत्येक कक्षा को पढ़ने का अवसर मिला है। शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार कर बच्चों को कठिन लग रहे विषयों को सरलता से पढ़ाया। क्योंकि जब बच्चा स्कूल में आता है, तो वह कच्ची मिट्टी की तरह होता है। उनके रहन-सहन पारिवारिक पृष्ठभूमि क्षेत्र स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें अध्यापन करने में मदद करना पड़ता है क्योंकि सरकारी स्कूल में बच्चे गरीब वर्ग के होते हैं। उनकी मदद करके मुझे आत्म संतोष होता है। इस कार्य में मेरे शिक्षक पति भुवनेश्वर दुबे का भी सहयोग मिलता है। इन गरीब बच्चों को नवीन शिक्षा तकनीकी से अध्यापन कराने में प्रसन्नता होती है।

प्राइमरी के बच्चों के साथ शिक्षिका लक्ष्मी दुबे


बच्चों के मन से डर हटायादुबे ने बताया मुझे खुशी है कि मेरे पढ़ाए बच्चे अधिकांश शासकीय एवं केंद्रीय सेवा में कार्यरत हैं। दक्षता उन्नयन में कक्षा पहली से पांचवी तक उनके स्तर को उच्च स्तर तक ले जाने में शासन जो गाइडलाइन देती है, उससे हटकर हमने बच्चों को पढ़ाते हुए उनके दक्षता में 100 फीसदी सुधार कर उनके मन से पढ़ाई का डर हटाने में कामयाबी मिली है। सरकारी स्कूलों में सुविधाएं नहीं होती है, फिर भी हम शिक्षकों का कर्तव्य है कि उनको नवाचार के माध्यम से पढ़ाई का वातावरण देते हुए उनको शिक्षा के प्रति जागरूक करना मेरा लक्ष्य रहा है।