23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भगवद गीता के इन उपदेशों में छिपा है जीवन का सार

भगवद गीता के इन उपदेशों में छिपा है जीवन का सार

2 min read
Google source verification
geeta saar

geeta saar

जबलपुर. घर के बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा कि भववद् गीता में जीवन का सार छुपा हुआ है। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कुछ उपदेश दिए थे, जिससे अर्जुन के लिए युद्ध जीतना आसान हो गया। खबर में गीता के कुछ महत्वपूर्ण उपदेशों को अपने जीवन में शामिल कर आप भी अपने लक्ष्य को पाने सक्षम बन पाएंगे। वर्तमान समय में बच्चों के लिए गीता का ज्ञान बहुत ही महत्वपूर्ण है। माता-पिता स्वयं अध्ययन करने के साथ ही गीता ज्ञान से बच्चों को भी अवगत कराएं, ताकि वे उज्ज्वल भविष्य की राह आसानी से तय कर सकें।

क्रोध पर नियंत्रण
क्रोध करने से भ्रम की उत्पत्ति होती है और जब आप भ्रमित हो जाएंगे तो बुद्धि व्यग्र हो जाती है और बुद्धि के व्यग्र हो जाने के बाद आपकी तार्किक क्षमता प्रभावित हो जाती है । इसलिए अच्छा जीवन जीने के लिए आपको क्रोध पर नियंत्रण करना नितांत आवश्यक हो जाता है। इसलिए क्रोध से बचें, तभी जीवन सुखमय बन पाएगा।

दृष्टिकोण बदलें
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो ज्ञानी होता है वह ज्ञान और कर्म को एक रूप से देखता है। ऐसा करके वह जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होता है।

मन पर काबू
मन पर नियंत्रण करना आ जाए तो हर काम सहज हो जाता है और ऐसा व्यक्ति अपना कार्य आसानी से पूरा कर लेता है और उसे किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। मन चंचल होता है इसलिए भटकाव पैदा करता है, लेकिन जो इस पर विजय प्राप्त कर लेता है वह अपने काम भलीप्रकार कर पाता है।

स्वयं का निर्माण
मानव जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है। सही दिशा में चलने के लिए स्वयं पर पूर्ण विश्वास होना जरूरी है। यदि स्वयं पर पूर्ण विश्वास करोगे तो धारण किए गए कार्य बिना संदेह पूर्ण होगा।

स्वयं का आकलन
आत्म-ज्ञान रूपी तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञानता के संदेह को अलग कर दो तो अनुशासन का संचार शुरू हो जाएगा, तब हर कार्य बिना संदेह के पूरा कर पाओगे।

हर काम का फल
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि इस जीवन में न कुछ खोता है और न व्यर्थ होता है। इसलिए मनुष्य को खोने और पाने की चिंता किए बिना कर्म करने अग्रसर रहना चाहिए।

स्वयं पर विश्वास रखें
भगवान कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, बस जरूरत होती है तो इच्छा के अनुरूप लगातर चिंतन करने की। ऐसा करने से व्यक्ति को संबल मिलता है और वह इच्छित वस्तु प्राप्त कर लेता है।

अभ्यास जरूरी
भगवान कहते हैं कि मन चंचल है, उसे वश में करना कठिन है, लेकिन मुश्किल नहीं है। यदि व्यक्ति नियमित अभ्यास करे तो मन स्थिर होने लगता है और आप अपना लक्ष्य पाने सफल होने लगते हैं।

तनाव से रहें मुक्त
तनाव से दूर रहकर ही आप अपने लक्ष्य को पूर्ण कर सकते हैं। यदि मन में तनाव और शंका का भाव होगा तो होता हुआ कार्य भी हाथ से निकल जाएगा। इसलिए तनाव से मुक्त रहने का प्रयास होना चाहिए।

काम को खुश रहकर करें
किसी काम को जब हम ईमानदारी के साथ करते हैं और स्वयं के द्वारा किए जा रहे कार्य से खुश रहते हैं तो आनंद की सरिता प्रवाहित होने लगती है। यही आनंद हमें पूर्णता की ओर ले जाने में मदद करता है।