प्रदेश स्तरीय समीक्षा में जो बात खुल कर सामने आई है उसके मुताबिक करीब 70 फीसद शिक्षक ऑनलाइन एजुकेशन को गंभीरता से नहीं ले रहे। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा महज खानापूरी बनकर रह गई है। ऐसे लापरवाह शिक्षकों की निगरानी व उन पर कार्रवाई करने से अधिकारी भी हिचकिचा रहे हैं। एम शिक्षा मित्र ऐप पर जानकारी दर्ज कराने की शिक्षक रुचि ही नहीं ले रहे।
प्रदेश के ये 16 ऐसे जिले हैं, जहां 35 फीसद से ज्यादा स्कूलों के एक भी शिक्षक ने एम शिक्षा मित्र पोर्टल पर जानकारी दर्ज नहीं कराई है। इनमें अलीराजपुर 57, आगर मालवा 50, मुरैना 46, देवास 46, निवारी व विदिशा 44-44, बुरहानपुर व रतलाम 43-43, बड़वानी-शिवपुरी 40-40, खरगोनव धार 39-39, टीकमगढ़ 38, श्योपुर व जबलपुर 36-36 और मंदसौर जिले के 35 फीसद शिक्षक शामिल हैं।
बता दें कि जब ‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ योजना में शिक्षकों की भागीदारी पर जोर दिया गया तो शिक्षक संगठनों ने कोरोना संक्रमण की स्थिति में जिम्मेदारी का सवाल उठाया और अधिकारियों पर दबाव बनाकर काम नहीं किया। जिले में कक्षा एक से लेकर आठवीं तक 1 लाख 40 हजार बच्चे स्कूलों में दर्ज हैं। अब हालत इतनी खराब है कि अधिकारी भी डेटा अपडेट न होने का बहाना बना कर शिक्षकों की कमजोरी छिपा रहे है।
इस मसले पर शिक्षाविदों का कहना है कि जब शिक्षक घर-घर जाकर ही पढ़ा रहे हैं तो ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन भी पढ़ा सकते हैं। ग्रामीण विद्यार्थी अब भी ऑफलाइन शिक्षा में ही सहज महसूस करते हैं।
“एम शिक्षा मित्र ऐप में जानकारी अपलोड करने में जिले के शिक्षकों ने लापरवाही की है। इस कारण ही जबलपुर जिला ‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ योजना में 36वे नंबर पर है। शिक्षक घर-घर जाकर पढ़ाने में भी पीछे हैं। इसकी समीक्षा की जाएगी।” – अजय दुबे, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जबलपुर