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वकील नहीं लेंगे केस लडऩे की फीस, इन लोगों के मुफ्त में लड़ेंगे केस

locationजबलपुरPublished: Nov 17, 2020 01:25:19 pm

Submitted by:

Lalit kostha

वकील नहीं लेंगे केस लडऩे की फीस, इन लोगों के मुफ्त में लड़ेंगे केस
 

MP government lawyers

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जबलपुर। गरीब व सर्वहारा वर्ग को नि:शुल्क कानूनी सुविधा मुहैया कराने का कानून तो है, लेकिन इसके लिए जिस वकील की सेवाएं ली जाती हैं, सरकार को उसकी फीस चुकानी पड़ती है। मप्र हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति ने इससे भी एक कदम आगे जाकर योजना बनाई है। इसके तहत जनहित में गरीब व सर्वहारा वर्ग की मुफ्त में कानूनी मदद करने के लिए इच्छुक वकीलों का पैनल बनाया जा रहा है। ये वकील बिना शुल्क लिए विधिक सेवा के पात्र व्यक्तियों की पैरवी करेंगे। योजना के तहत स्टेट बार काउंसिल में पंजीकृत कार्यरत वकीलों को आमंत्रित किया गया है कि वे मंत्रालय की वेबसाइट ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.डीओजे.जीओवी.आईएन’ पर जाकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं।

हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति की पहल
बिना फीस के गरीबों लिए मुकदमे लड़ेंगे वकील

समिति ने वकीलों के लिए जारी सूचना में स्पष्ट कर दिया है कि यह कानूनी मदद गरीब व सर्वहारा वर्ग के लिए प्रस्तावित है। इसमें जो भी अपनी सेवाएं देगा, वह स्वेच्छा से होगी। लिहाजा इसके लिए उन्हें कोई भी मानदेय या आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी। इसी लिए योजना को प्रो-बोनो (जनहित) लीगल सर्विसेस नाम दिया गया है।

 

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भविष्य में मिलेगा फायदा
हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति से प्राप्त जानकारी के अनुसार वकीलों को गरीबों की विधिक सहायता के लिए कोई भुगतान नहीं किया जाएगा। लेकिन उन्हें भविष्य में इस कार्य का लाभ मिलेगा। नि:शुल्क विधिक सेवा देने वाले वकीलों का रिकार्ड तैयार होगा। उन्हें इस कार्य के लिए प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। भविष्य में इस तरह की सेवाओं के लिए ऐसे वकीलों को प्राथमिकता से अवसर दिए जाएंगे। विधिक सेवा समिति को राज्य सरकार द्वारा दिए जाने वाले बजट का एक बड़ा हिस्सा गरीब व सर्वहारा वर्ग को नि:शुल्क कानूनी मदद कराने में वकीलों की फीस के भुगतान में चला जाता है।

डाटाबेस होगा तैयार
समिति ने यह योजना केंद्रीय विधि मंत्रालय के निर्देश के तहत बनाई है। पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद पंजीकृत वकीलों का उनकी विशेषज्ञता, दक्षता, पैरवी कर सकने के स्थान, उपलब्ध समय आदि के आधार पर डाटाबेस तैयार किया जाएगा। इस डाटाबेस का उपयोग विधिक सेवा अधिनियम 1987 के तहत विधिक सेवा प्राप्त करने के लिए पात्र ऐसे लोगों की कानूनी मदद करने में किया जाएगा, जो आर्थिक रूप से अपनी कानूनी लड़ाई लडऩे मेें असमर्थ हैं।

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