छोटे देशों को निर्यात किए बमों के फ्यूज, व्यापक मात्रा में किया उत्पादन
ओएफके : सेना को मजबूती दी देश को विदेशी मुद्रा भी दिलाई
फैक्ट्री से जुड़े जानकारों ने बताया कि 84 एमएम एमुनेशन के एचई वर्जन में इस फ्यूज का इस्तेमाल किया जाता है। अब देश में इसका इस्तेमाल कम होता है, क्योंकि ज्यादा एडवांस टेक्नालॉजी वाले एमुनेशन देश में आ गए हैं। हालांकि, अभी भी छोटे देशों में यह सेना के काम आता है। इसलिए दूसरे देशों से यह आदेश रक्षा मंत्रालय के जरिए ओएफके को मिला था। फैक्ट्री में यह फ्यूज पहले भी बन चुके थे, तो इन्हें बनाकर निर्यात करना भी आसान था। इससे लाखों रुपए की विदेशी मुद्रा अर्जित की गई।
कंधे पर रखा जाता है लॉन्चर
कार्ल गुस्ताव रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल आमने-सामने की लड़ाई में ज्यादा प्रभावी होता है। इससे दुश्मन के टैंक को उड़ाया जा सकता है। जानकारों ने बताया कि इस एमुनेशन का इस्तेमाल देश की सेना ने वर्ष 1999 की कारगिल की लड़ाई में भी किया था। अभी भी काफी देश इसका उपयोग करते हैं।
बोर्ड की नीति निर्यात भी जरूरी
आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) ने अपनी नीति में निर्यात को बढ़ावा देने की पहल कर रखी है। बोर्ड चाहता है कि आयुध निर्माणियां देश की सेना के साथ निर्यात के लिए भी सामग्री बनाएं। ताकि, विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहयोग हो सके। ओएफके पहले भी कुछ एमुनेशन विदेशों में सप्लाई कर चुकी है।