
akaal mout se bachne ke liye kya kare
जबलपुर। जिंदगी एक खुशनुमा एहसास है, मौत एक कटुसत्य। जिसे न टाला जा सकता है और न उससे किसी उपाए से बचा जा सकता है। किंतु अचानक होने वाली घटनाओं में यदि धैर्य संयम और कुद बातों का ध्यान रखा जाए तो इसका डर दूर किया जा सकता है। इसे आकस्मिक मौत से बचने का उपाए या तरीका भी कहा जा सकता है। मंगलवार को आकस्मिक मृत्यु दिवस मनाया जा रहा है। इसमें लोगों को जान बचाने के तरीकों के साथ ही उन्हें पालन करने के लिए जागरुक किया जा रहा है। जबलपुर में राइट टाउन स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा इसकी जानकारी दी जा रही है। जो लोगों के लिए बहुत उपयोगी होने के साथ ही जीवन रक्षा सूत्र का काम करेगी। मेडिकल के डॉक्टर डॉ. आरएस शर्मा व मेडिकल छात्रों द्वारा लोगों को इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
एक मिनट में 120 बार, मिलकर हम सब साथ करेंगे सीपीसीआर। एक स्वर में यह वाक्य गूंजे पंडित रविशंकर शुक्ल खेल परिसर में। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आकस्मिक मृत्यु बचाव दिवस मनाया। मेडिकल, पैरोमेडिकल, नर्सिंग के साथ ही सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूल कॉलेजों के छात्र-छात्राआें ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। सीपीसीआर तकनीक हर किसी को लाइफ सेवियर बनाने के लिए प्रेरित कर रही थी। इसके तहत लोगों को सीपीसीआर यानी कार्डियो पल्मनरी सेरेब्रल रिससिटेशन...,
जिससे हार्ट अटैक आने के बाद के चार मिनट के अंदर ही व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। दिल का दौरा पडऩे के दौरान तुरंत चिकित्सकीय सहायता मिलना हर किसी को मिल पाए, यह जरूरी नहीं। इसीलिए यह तकनीक हर किसी को आने से किसी की जान बचने के चांसेज 90 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। इस आयोजन में अन्य मेडिकल इंस्टीट्यूशन ने भी सहयोग किया। कार्यक्रम में सडन डेथ प्रिवेंशन का मॉक प्रजेंट किया गया। पुनर्जीवन की तकनीक लाइव समझाई गई। एक मिनट में 120 बार ह्रदय को हथेलियों के जरिए पम्प करने की ट्रेनिंग दी गई। इसके बाद बताया गया कि चेस्ट में 5 से 6 सेमी तक प्रेशर डालें। इसके बाद विभिन्न स्टेप्स समझाए गए।
Published on:
04 Dec 2018 01:08 pm
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