अदालत ने कहा कि शासन-प्रशासन की ओर से लाइसेंस हासिल कर वैध हथियार रखने की व्यवस्था दी गई है, जिसका लाभ आत्मरक्षा के लिए लेना उचित है लेकिन अवैध हथियार रखना अनुचित है। अवैध हथियार अनुचित घटनाओं को अंजाम देने में अक्सर प्रयुक्त होने की सूचना समय-समय पर सामने आती रहती है। समाज को शांति पसंद है, अवैध हथियार शांति के दुश्मन होते हैं।
इससे पूर्व आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जमानत आवेदन प्रस्तुत किया जबकि शासन की ओर से जिला लोक अभियोजन अधिकारी शेख वसीम की अगुवाई में सहायक जिला अभियोजन अधिकारी बबीता कुल्हारा ने शासन की ओर से जमानत का विरोध कर बताया कि यदि आरोपित को जमानत का लाभ दिया जाता है तो समाज में न्याय के प्रति विपरीत संदेश पहुंचेगा। जिरह के दौरान अदालत को बताया गया कि पूर्व में भी आरोपी इसी तरह की हरकतें कर चुका है। ऐसे में अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी निरस्त कर उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि 27 अक्टूबर की रात गश्त के दौरान आरोपी अकरम तलवार के साथ पुलिस को मिला था। वह किसी बड़ी घटना को अंज़ाम देने की फिराक में था। ऐसे में तलवार जब्त कर आरोपी के विरुद्ध धारा 25 आर्म्स एक्ट अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। उससे पूछताछ में उसके खतरनाक इरादों का भी पता चला। लिहाजा, पुलिस ने कड़ाई बरती और आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी मंजुल सिंह की अदालत में पेश किया।