scriptमां की मौत संग मासूम भानु पर टूटा दुःखों का पहाड़ | Bhanu became an orphan Mother also dies after father | Patrika News
जबलपुर

मां की मौत संग मासूम भानु पर टूटा दुःखों का पहाड़

-पिता की पहले ही हो चुकी है मौत

जबलपुरDec 25, 2020 / 04:32 pm

Ajay Chaturvedi

मां के निधन के बाद अनाथ भानु रैन बसेरा में

मां के निधन के बाद अनाथ भानु रैन बसेरा में

जबलपुर. सात वर्षीय मासूम भानु पर तो मानों दुःखों का पहाड़ ही टूट पड़ा है। अब इस दुनिया में उसका कोई नहीं रहा। पिता तीन साल पहले ही चल बसे थे, अब मां का भी निधन हो गया। अब वो कहां जाए, किसके पास रहे। उसका पालन-पोषण कौन करेगा, जब कोई है ही नहीं। भानु बता रहा है कि उसके नाना जीवित हैं पर न उनका नाम पता है, न उनका पता ही वह जानता है। ऐसे में वह पूरी तरह से अनाथ हो चुका है। फिलहाल मोक्ष संस्था के आशीष ने इस मासूम को रैन बसेरा पहुंचा दिया है। अभी वह वहीं रह रहा है।
प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि दुर्ग भिलाई निवासी पार्वती मरकाम (40) के पति की तीन साल पहले मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद पार्वती बेसहारा हो गई तो बेटे भानु प्रताप को लेकर मजदूरी करने जबलपुर आ गई। मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में यहां-वहां बेटे को लेकर पड़ी रहती और मजदूरी कर अपना व बेटे का पेट भरती थी। पिछले दिनो पार्वती की तबियत खराब हो गई तो उसे मेडिकल में भर्ती कराया गया। वार्ड-16 में भर्ती पार्वती, बेटे भानु को छाती से लगाए रहती थी।
गुरुवार-शुक्रवार की रात पार्वती की मौत हो गई। मां की मौत के बाद भी बेटा भानु यही समझ रहा था कि उसकी मां का इलाज चल रहा है। मेडिकल कर्मचारी शव को लेकर पोस्टमार्टम कक्ष पहुंचे तो पीछे-पीछ भानु भी वहां गया और वहां बैठे कर भी यही सोचता रहा था कि मां का इलाज किया जा रहा है। वह जल्द स्वस्थ हो जाएगी। इस बीच पोस्टमार्टम कक्ष के बाहर बैठे मासूम पर मोक्ष संस्था के आशीष की नजर पड़ी। आशीष ने ही पार्वती के शव के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कराई।
सात वर्षीय भानु का कहना है कि वह दुर्ग भिलाई का मूल निवासी है। पर उसे अपने नाते-रिश्तेदारों का नाम-पता नहीं मालूम। उसे यह भी नहीं पता कि उसके घर में कौन-कौन है। उसने बताया कि बस्तर में उसका ननिहाल है पर उसे नाना का नाम नहीं पता। ऐसे में आशीष ठाकुर ने उसे रैन बसेरा पहुंचा दिया। फिलहाल वह वहीं रह रहा है।
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