
एमपी में अब एक और बड़ा चना खरीदी घोटाला
जबलपुर। व्यापमं व गेहूं खरीदी में हुई व्यापक हेराफेरी के बाद अब एमपी में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। ये घोटाला है चना की खरीदी का। सूत्रों की मानें तो जबलपुर की महज दो कृषि मंडियों में ही करीब 12 हजार क्विंटल चने की हेराफेरी की गई है। पूरे प्रदेश में यह घोटाला अरबों रुपए तक पहुंच सकता है। इस खुलासे के बाद सूबे में हडक़म्प मच गया है। विरोधी धड़े के कुछ किसानों ने बात को दिल्ली तक पहुंचाने की तैयारी कर ली है। किसानों का आरोप है कि शहपुरा व पाटन मंडी में अब तक सामने आए करीब 15 करोड़ रुपए के इस घोटाले में कई अफसर और नेता भी शामिल हैं। आगामी चुनाव में यह एक बड़े मुद्दे के रूप में सामने आ सकता है।
इस कंपनी ने की खरीदी
कृषक नेता रंजीत पटेल व एडवोकेट विवेक रंजन शर्मा के अनुसार नाफेड ने जबलपुर जिले में चना, मसूर व अन्य खाद्यान्न की खरीदी के लिए मध्यभारत कंसोर्टियम ऑफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड के साथ एग्रीमेंट किया था। इस कंपनी के सीईओ योगेश द्विवेदी ने जबलपुर की एक प्रोड्यूसर कंपनी को अपने बिहाफ में चना, मसूर व अन्य उत्पादों की खरीदी के लिए अधिकृत किया था। इस कंपनी के सीईओ कुलदीप शुक्ला के खिलाफ खरीदी में धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज हो चुका है। पटेल व शर्मा की मानें तो कुलदीप इस घोटाले का महज एक छोटा सा मोहरा है। इसमें और भी कई बड़े अफसर पर चेहरे शामिल हैं।
ऑनलाइन और ऑफलाइन का खेल
कृषक रंजीत पटेल व विजय दुबे के अनुसार केवल शहपुरा और पाटन कृषि उपज मंडी में चना खरीदी की सूची में ही भारी अंतर है। पूरा खेल ऑनलाइन व ऑफलाइन खरीदी के नाम पर हुआ है। पटेल ने कहा कि हमारे पास वह सूची उपलब्ध है, जिसमें ऑफ लाइन खरीदी की गई है। इस सूची में उन सैकड़ों किसानों के नाम हैं ही नहीं, जिनका नाम ऑनलाइन सूची में दर्ज है। इसका सीधा अर्थ है कि ऑनलाइन सूची में सेटिंग के तहत मनमाफिक ढंग से चहेते किसानों के नाम जोड़ दिए गए। उनके नाम पर खरीदी दर्शा दी गई और उनके नाम पर भुगतान कराकर 15 करोड़ रुपए से अधिक का फर्जीवाड़ा किया गया है। ऑन लाइन खरीदी व ऑफ लाइन खरीदी की सूची में नामों का अंतर साफ देखा जा सकता है। यह पता लगाया जाना चाहिए कि ऑन लाइन व ऑफ लाइन खरीदी की लिस्ट में जिन-जिन किसानों के नाम दर्ज हैं, उनसे वास्तव में कितनी खरीदी गई। और जिनके नाम ऑनलाइन खरीदी की सूची में हैँ, उन्हें कितना भुगतान किया गया?
चहेतों के खातों में पैसा
कृषक व एडवोकेट शर्मा के अनुसार करीब 17 ऐसे किसान सामने आए हैं, जिन्होंने मंडी में उतना माल नहीं बेचा, जितना कि उनकी बही में दर्शाकर उनके खाते में पैसा ट्रांसफर किया गया है। किसानों के माध्यम से यह पैसा किसके पास गया यह जांच का विषय है। किसानों ने बताया कि जो असली किसान है उनका अभी भी करोड़ों रुपए का भुगतान अटका हुआ है।
सूची में ही बड़ा अंतर
जागरूक किसानों के अनुसार ऑनलाइन व ऑफलाइन खरीदी में करीब 12000 क्विंटल का अंतर आ रहा है। इस 12000 क्विंटल चने की खरीदी के लिए सरकारी ऑनलाइन पोर्टल पर जिन किसानों के नाम चढ़े हुए हैं। इनके नाम ऑफ लाइन खरीदी और भुगतान वाली सूची में दर्ज ही नहीं हैं। इससे प्रतीत होता है कि इतने किसानों के नाम पर गबन हुआ है। एडवोकेट व जागरूक कृषक विवेक रंजन शर्मा का आरोप है कि पूरा खेल मध्यभारत कंसोर्टियम ऑफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ योगेश द्विवेदी के इशारे पर खेला गया है। कुलदीप शुक्ला इसमें बहुत छोटी कड़ी है। सूची की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसमें ऐसे किसानों को रकम का भुगतान किया गया, जिनके नाम खरीदी की वास्तविक सूची में दर्ज ही नहीं हैं।
खरीदी के नियम ताक पर
कृषक पटेल के अनुसार निर्धारित नियम के अनुसार कंपनी या एजेंसी द्वारा एक दिन में एक किसान से 40 क्विंटल तक ही खरीदी की जा सकती है। यानी इतना ही भुगतान किया जा सकता है, लेकिन सूची में कई किसान ऐसे हैें जिनके नाम पर न केवल 110 से 200 क्विंटल तक की खरीदी दर्शायी गई है, बल्कि उन्हें एक ही बार में 200 क्विंटल तक का भुगतान भी कर दिया गया है। इस सूची में धोखाधड़ी व गलत इरादे साफ झलक रहे हैं।
एग्रीमेंट में भी घोटाला
जागरूक किसान व एडवोकेट रामगोपाल पटेल व सुखलाल साहू का कहना है कि मध्यभारत कंसोर्टियम ऑफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड ने अपने बिहाफ में जबलपुर क्षेत्र की जिस प्रोड्यूसर कंपनी से चना, मसूर आदि की खरीदी का एग्रीमेंट किया है वह कंपनी रजिस्टर्ड ही नहीं है। इस कंपनी के सीईओ कुलदीप शुक्ला हैं। बताया गया है कि शुक्ला के खिलाफ हाल ही में धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज हुआ है।
चने से भरे 79 ट्रक गायब
किसानों का आरोप है कि मध्यभारत कंसोर्टियम ऑफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड के अफसरों के इशारे पर खरीदे गए अनाज के भंडारण में भी भारी अनियमितता हुई है। किसानों के पास वह पत्र और सूची भी मौजूद है जिसमें कंपनी के सीईओ द्विवेदी के निर्देश पर 79 ट्रक चना मंडी से वेयर हाउस भेजा गया, लेकिन आज तक वह वेयर हाउस नहीं पहुंचा। इसमें वेयर हाउस प्रबंधक की टीप भी लिखी हुई है। जिसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि उन्हें 79 ट्रक चना प्राप्त ही नहीं हुआ है। एडवोकेट शर्मा का कहना है कि वेयर हाउस में भेजा गया करोड़ों रुपए की कीमत का चना यदि वेयर हाउस में नहीं पहुंता तो फिर वह आखिर कहां गया? इसकी जांच होनी चाहिए। शर्मा के अनुसार सीईओ द्विवेदी ने इस संबंध में जबलपुर कलेक्टर को जो सूची सौंपी है वह जाली और मनगढ़ंत है।
अफसरों को देंगे सबूत
कृषक रंजीत पटेल व एडवोकेट शर्मा का दावा है कि उनके पास करीब 700 पन्नों की ऑनलाइन व ऑफलाइन खरीदी की सूची है। इसमें पूरा फर्जीवाड़ा साफ दिख रहा है। यह सूची जल्द कलेक्टर को सौंपी जाएगी। इसकी प्रतियां प्रदेश के मुख्य सचिव, कृषि मंत्री व आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के साथ अन्य संस्थाओं को दी जाएगी। क्षेत्रीय विधायक नीलेश अवस्थी से भी इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने का आग्रह किया जाएगा।
सीईओ का ये तर्क
मध्यभारत कंसोर्टियम ऑफ फारमर्स प्रोडयूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ योगेश द्विवेदी का कहना है कि उन पर लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद हैं। स्थानीय प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा की गई गड़बड़ी का मामला सामने आया था। इस पर इसके सीईओ कुलदीप शुक्ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। यदि खरीदी में और भी अनियमितता के मामले सामने आएंगे तो उसकी जांच व कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर का ये जवाब
कलेक्टर छवि भारद्वाज का कहना है कि चना खरीदी में व्यापक पैमाने पर हेराफेरी की शिकायत आई है। इस मामले में एक अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। कुछ बिन्दुओं पर और भी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे उनके आधार पर न्यायोचित कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
17 Sept 2018 03:04 pm
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