लैब बदलते ही जांच दर घटी, महीने में सवा करोड़ रुपए की बचत होगी
महाराष्ट्र की कोरोना जांच लैब प्रति नमूने की जांच पर पुरानी कम्पनी की तुलना में करीब आधी राशि ले रही है। इससे स्वास्थ्य विभाग को जिले में प्रतिमाह करीब सवा करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान है। कई कोरोना टेस्ट किट की उपलब्धता बढऩे और सस्ती होने से जांच दर कम हो गई है। लेकिन, गुजरात की कम्पनी ज्यादा कीमत वसूलती रही। सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुररिया के अनुसार शासन के निर्देशानुसार दर पर आवश्यकतानुसार नमूने की जांच निजी लैब से कराई जा रही है।
निजी का जितना बिल उसमें 10 लैब बन जाती
कोरोना संक्रमण काल की शुरुआत में एनआइआरटीएच-आइसीएमआर अंचल में जांच का बड़ा केंद्र था। संदिग्ध बढऩे पर जांच का भार बढ़ा, तो नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में वायरोलॉजी लैब तैयार की गई। दोनों के पूरी क्षमता से काम करने पर भी संक्रमण के फैलाव के साथ नमूने की जांच की वेटिंग बढ़ गई। स्थिति से निपटने के लिए गुजरात की निजी लैब से जांच शुरू कराई गई।एक अनुमान के अनुसार निजी लैब से कराई गई जांच का बिल करीब दस करोड़ रुपए हो चुका है। इतनी राशि में 10 नई वायरोलॉजी लैब बनकर तैयार हो जाती है।
पहले 1980 अब सिर्फ 980 रुपए
शहर में अभी औसतन डेढ़ हजार रुपए नमूने की जांच प्रतिदिन कराई जा रही है। औसतन एक से दो सौ नमूने आइसीएमआर/मेडिकल कॉलेज, इतने ही नमूने प्राइवेट लैब और चार-पांच सौ नमूने पुणे की लैब को एवं इतने के करीब नमूने के रेपिड एंटीजन टेस्ट होते है। पिछले महीने तक गुजरात की लैब से 1980 रुपए प्रति नमूने की दर से कोरोना जांच कराई गई है। एक महीने में करीब ढाई करोड़ रुपए जांच के लिए एक लैब का बिल पहुंचा था। इस महीने से नमूने की जांच महाराष्ट्र की लैब से हो रही है। यह लैब प्रति नमूने की जांच 980 रुपए की दर से कर रही है। नई दर से जांच में प्रतिमाह व्यय करीब सवा करोड़ रुपए तक कम हो जाएगा।