बहनें भी स्वदेशी राखी ही खरीदेंगी चाइनीज राखियों को दूर से ही ना!
व्यापारी भी माल नहीं करा रहे बुक
10 से 12 करोड रुपए़ का कारोबार
जबलपुर की बात करें, तो यहां 40 से 50 थोक कारोबारी हैं, जो बाहरी प्रदेशों में बनीं राखी लाते हैं। हर साल 10 से 12 करोड़ रुपए का राखी और रूमाल का व्यापार होता है। यहां से आसपास के सात से आठ जिलों में इसकी बिक्री होती है। अधिकतर व्यापारी यहीं से राखी खरीदकर क्षेत्रीय बाजारों में बेचते हैं।
40 से 50 राखी के थोक कारोबारी जिले में।
10 से 12 करोड़ के बीच राखी का व्यापार।
20 फीसदी चीनी मटेरियल से बनी राखियां।
पहले आधे बाजार पर था कब्जा
पहले शहर और देश के बाजार में 40 से 50 फीसदी राखियां चीन की होती थीं या उनमें चीनी मटेरियल लगा होता था। अभी भी चीनी मटेरियल लगी राखियां आएंगी, लेकिन व्यापारी उत्पादकों से इस पर सवाल करने लगे हैं।
यहां से आती हैं राखियां
दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, राजकोट।
पहले से तय करते आ रहे हैं कि चीन में बनी राखियों का विक्रय नहीं करेंगे। मैंने चीन के रूमाल तक वापस किए हैं। उत्पादकों से कहते हैं कि वे उन्हें अपने देश में बनीं राखियां भेजें।
– अंकुश जैन, थोक विक्रेता
लॉकडाउन के कारण राखी का व्यापार मंदा है। थोड़ी और परेशानी उठा लेंगे, लेकिन चीन में बनी राखी नहीं लाएंगे। इस साल ऐसी राखी लाए हैं, जो देश में ही बनी हैं। अब ग्राहक भी पूछते हैं कि राखी कहां बनी है?
– हर्षित केसरवानी, थोक विक्रेता