पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष जून में हुई 83 करोड़ यूनिट बिजली की कम खपत
जबलपुर, प्रदेश में जून माह में बिजली की मांग कम रही। पिछले वर्ष जून माह में बिजली की मांग 600 करोड़ यूनिट रही, जबकि इस वर्ष जून माह में बिजली की मांग का ग्राफ 87 करोड़ यूनिट गिरा और मांग 513 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई। मांग कम होने के कारण बिजली कंपनियों को लगभग पांच सौ करोड़ रुपए के घाटे होने का अनुमान लगाया जा रहा है, इसके बावजूद बिजली कंपनियों ने बिजली उत्पादन कंपनियों को 800 करोड़ रुपए चुकाए। जिसका सीधा असर जनता पर पड़ेगा।
प्रदेश में बिजली की सप्लाईजून 2019- 600 करोड़ यूनिट
जून 2020- 513 करोड़ यूनिट
अंतर- 87 करोड़ यूनिट
मांग कम होने का यह रहा कारण
प्रदेश में बिजली की मांग कम होने का सबसे बड़ा कारण उद्योग धंधों का पूर्व की तरह संचालन न होना है। लॉक डाउन के बाद छोटे मोटे उद्योग धंधे जहां बंद हैं, वहीं बड़े उद्योग धंधों और यूनिटों में पूर्व की तरह काम नहीं हो रहा है, जिस कारण बिजली की मांग जून में कम रही।
प्रदेश में सरप्लस बिजली का आंकड़ा और खरीदीउपक्रम-उपलब्ध बिजली-खरीदी गई बिजलीमप्र पावर जनरेटिंग कंपनी-306-93
एनटीपीसी-310-140
निजी विद्युत कंपनियां-115-55
कुल- 731-288
(आंकड़े करोड़ यूनिट में)
500 करोड़ का हुआ घाटाप्रदेश में जून माह में बिजली की मांग घटने पर प्रदेश की बिजली कंपनियों को पांच सौ करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। यह नुकसान पिछले वर्ष के जून माह के आंकड़ो की तुलना में है।
चुकाना पड़ा नियत प्रभारबिजली कंपनियों का कई बिजली उत्पादन कंपनियों से एग्रीमेंट है। जिसके तहत बिजली खरीदी हो या न तो एक फिक्स चार्ज बिजली कंपनियों को उत्पादन कंपनियों को देना पड़ता है। यही कारण है कि बिजली की मांग कम होने के बावजूद भी जून माह में बिजली कंपनियों को बिजली उत्पादन कंपनियों को आठ सौ करोड़ रुपए चुकाने पड़े।
बंद किए गए विद्यु़त गृहप्रदेश में जून माह में बिजली की मांग 513 करोड़ यूनिट रही। जबकि प्रदेश में बिजली उत्पादन 1010 करोड़ यूनिट का उपलब्ध रहा। मांग कम होने और बिजली सरप्लस होने के कारण प्रदेश के कई विद्युत गृहों को बंद करके भी रखा गया था।
वर्जनप्रदेश में पिछले जून के मुकाबले इस जून में बिजली की मांग 87 करोड़ यूनिट कम रही। इसके बावजूद फिक्स चार्ज के रूप में विद्युत उत्पादन कंपनियों को 800 करोड़ रुपए चुकाने पड़े। जबकि कंपनियों को जून माह में 500 करोड़ का घाटा हुआ है।
राजेन्द्र अग्रवाल, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, सेवानिवृत्त