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जबलपुर . मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुजय पॉल की अवकाशकालीन एकलपीठ ने अंतरिम आदेश के तहत याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों को शिक्षक पात्रता परीक्षा के तहत मुख्य परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत करने की प्रोविजनल अनुमति प्रदान की है। इसका परिणाम याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगा। एकलपीठ ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, मप्र कर्मचारी चयन मंडल के सचिव, आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय, आयुक्त जनजाति विभाग व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
यह है मामला
नरसिंहपुर की दीपा थारवानी, छिंदवाड़ा व इंदौर जिले के अभ्यर्थियों ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने शिक्षक वर्ग-एक की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली है लेकिन आयु सीमा का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं के आवेदन निरस्त कर दिए गए। याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि मप्र शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने 18 सितंबर 2022 को एक सरक्यूलर जारी कर कोविड की वजह से सीधी भर्तियों में आयु सीमा में 3 साल की छूट दी गई है। यह छूट दिसंबर 2023 तक के लिए दी गई है। शासन के उक्त परिपत्र का लाभ उन्हें मिलना चाहिए।
हाईकोर्ट ने शराब ठेकेदार की याचिका निरस्त कर कलेक्टर के आदेश को सही ठहराया
इधर एक दूसरे मामले में हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीएस अहलूवालिया व न्यायाधीश एके सिंह की युगलपीठ ने शराब ठेकेदार की याचिका खारिज कर कलेक्टर के आदेश को सही ठहराया। कलेक्टर भोपाल ने फर्जी बैंक गारंटी पेश करने पर शराब दुकान का लाइसेंस निरस्त कर नए टेंडर आमंत्रित करने के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ शराब ठेकेदार कंपनी राठौर एंड मेहता एसोसिएटस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।याचिका में कहा गया था कि उनकी फर्म में तीन पार्टनर हैं। बैंक गारंटी एक पार्टनर के पिता ने बनवाकर दी थी, जिसके फर्जी होने की जानकारी याचिकाकर्ता को नहीं थी और उसे असली मानकर जमा किया था। कलेक्टर ने सुनवाई का अवसर दिए बिना ही लाइसेंस निरस्त कर दिया। युगलपीठ ने आदेश में कहा कि फर्जीवाडा कर लाइसेंस लिया गया था, इसलिए आबकारी एक्ट की धारा-31 के तहत सुनवाई का अवसर नहीं दिया जा सकता।
Published on:
07 Jun 2023 05:56 pm
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