केंद्रीय कर्मियों की नहीं लगेगी चुनाव ड्यूटी : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट का अहम फैसला, कहा -चुनाव आयोग नियमों को समझने में फेल
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग मप्र राज्य नगर पालिका निर्वाचन नियम 1994 व पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के वैधानिक प्रावधानों को समझने में नाकाम रहा। कोर्ट ने सराहना करते हुए कहा कि इसके बावजूद केंद्रीय कर्मी एक जुलाई को चुनाव ड्यूटी करने के लिए राजी हो गए। जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने कहा कि वैधानिक रूप से केंद्रीय कर्मी इसके लिए बाध्य नहीं हैं। इसके बाद चुनाव आयोग इन कर्मियों, अधिकारियों के बजाय उक्त नियमों के तहत राज्य सरकार के कर्मियों, अफसरों की चुनाव में ड्यूटी लगा सकती है।
आवेदन हाईकोर्ट में पेश किया
राज्यं निर्वाचन आयोग की ओर से शुक्रवार को आवेदन हाईकोर्ट में पेश किया गया। इसमें कहा गया कि हाईकोर्ट की अन्य बेंच ने 24 व 27 जून को पारित आदेशों के तहत केंद्रीय कर्मियों को चुनाव ड्यूटी पर तैनात करने पर रोक लगाई है, इसे हटाया जाए। ईपीएफओ, जबलपुर डिवीजन व सेंट्रल जोन इंश्योरेंस कर्मी संघ की ओर से याचिकाएं दायर की गईं। इनमें कहा गया कि मप्र नगर पालिका निर्वाचन नियम 1994 के नियम 17 व मप्र पंचायत निर्वाचन नियम 1995 के नियम 24 के तहत इन चुनावों में केवल राज्य सरकार, स्थानीय निकायों व राज्य सरकार के लोक उपक्रमों के कर्मियों को ही तैनात किया जा सकता है। इसके बावजूद याचिकाकर्ता केंद्रीय व बीमा कम्पनियों के कर्मियों की चुनाव ड्यूटी लगाई गई। तर्क दिया गया कि न तो वे राज्य सरकार के किसी भी विभाग या उपक्रम के कर्मी हैं और न उनकी संस्थाओं को राज्य सरकार प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक मदद करती है। ऐसे में उनकी इन चुनावों में ड्यूटी लगाना अनुचित है।
चुनाव आयोग की ओर से कोर्ट को बताया
चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के कहने पर स्थगन के बावजूद याचिकाकर्ता संगठनों के 3-4 कर्मियों को छोड़कर अन्य केंद्रीय कर्मियों ने एक जुलाई को ड्यूटी करने की सहमति दी। इस पर कोर्ट ने कहा कि कानूनी रूप से बाध्य न होने पर भी याचिकाकर्ता संगठनों के कर्मियों ने ड्यूटी करने की सहमति देकर उदारता दर्शाई है। लेकिन, इस अपवाद को चुनाव आयोग अपना अधिकार न समझे। आगे के चुनाव कार्यक्रम के लिए राज्य सरकार के कर्मी तैनात किए जा सकते हैं।