जानकारों का कहना है कि कांग्रेस जिस तरह से प्रदेश की सत्ता से बाहर हुई, उसे सबक लेते हुए आगे बढऩे की कोशिश कर रही है। हालांकि, हालात उसके पक्ष में कैसे आएंगे, इसका रोडमैप अभी तक तो नहीं दिखा। जबलपुर की बात की जाए, तो यहां अभी भी पार्टी खेमों में बंटी हुई है। कहने को शहर में कांग्रेस के तीन विधायक हैं। लेकिन, तीनों एक मंच पर एक साथ कब आए, ये उन्हें भी याद नहीं होगा। ऐसे में कुछ कांग्रेसी नेता ही कहते हैं कि पार्टी के आलाकमान को यह देखना चाहिए कि आखिर यह सब चल क्या रहा है?