राष्ट्रपति ने कहा कि देश के आम लोगों का भरोसा न्यायपालिका में है। न्याय के आसन पर बैठने वाले व्यक्ति को समय के साथ परिवर्तन और समावेशी होनी चाहिए। न्याय करने वाले व्यक्ति का निजी आचरण भी उच्च होना चाहिए। न्याय व्यवस्था का उद्देश्य न्याय की रक्षा का होता है। न्याय में विलंब नहीं होना चाहिए। रणनीति के रूप में स्थगन का सहारा लेकर मुकदमों को लंबा खींचा जाता है। ऐसी खामियों को दूर करने की पहल होनी चाहिए। न्याय प्रशासन के इस सभी पहलू पर विचार विमर्श होगा। निष्कषों की एक प्रति राष्ट्रपति भवन को उपलब्ध कराई जाए तो मुझे अति प्रसन्नता होगी।
इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के मु्ख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक, मेघायल, जम्मू कश्मीर, पंजाब आदि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल हुए।