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मप्र के शहर में हैं मगरमच्छ, तेंदुआ, और, हिरण, बारहसिंघा फिर भी हैं गुमनाम

मप्र के शहर में हैं मगरमच्छ, तेंदुआ, और, हिरण, बारहसिंघा फिर भी हैं गुमनाम

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जबलपुर। ब्रिटिश काल का जलाशय, चारों ओर हरियाली, तेंदुआ, मोर, हिरण, बारहसिंघा, खरगोश, कई प्रजाति के पक्षियों की मौजूदगी। साथ ही खंदारी जलाशय मगरमच्छ के लिए अनुकूल है। इस जलाशय में सालभर पानी रहता है। आसपास डुमना का हरित क्षेत्र होने के कारण वन्य जीवों की मौजूदगी रहती है। इसके बाद भी इसे रामसर साइट में शामिल नहीं किया गया। खंदारी जलाशय को रामसर साइट में शामिल कराने आज तक नगर निगम, जिला प्रशासन के स्तर पर पहल नहीं हुई। जबकि इंदौर के दो तालाब, भोपाल और शिवपुरी के एक-एक तालाब को रामसर साइट का दर्जा मिल चुका है।

क्रोकोडाइल ब्रीडिंग सेंटर नहीं ले सका आकार

विशेषज्ञों के अनुसार क्रोकोडाइल के लिए खंदारी जलाशय में सर्वाधिक अनुकूल प्राकृतिक स्थिति है। इसे देखते हुए 8 साल पहले नगर निगम ने जलाशय में क्रोकोडाइल ब्रीडिंग सेंटर विकसित करने की भी प्लानिंग की थी। इसे बजट प्रस्ताव में भी शामिल किया गया था। लेकिन आगे डीपीआर बनाने से लेकर ब्रीडिंग सेंटर विकसित करने कोई प्रयास नहीं हुए।

रामसर साइट में चयन का ये होता है लाभ

रामसर अभिसमय अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों के संरक्षण की अंतरराष्ट्रीय संधि है। इन साइटस के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। 2 फरवरी को विश्वभर में वाटर वेटलेंड डे के रूप में भी मनाया जाता है। किसी स्थान को रामसर साइट में शामिल कराने के लिए स्थानीय प्रशासन, राज्य शासन को पहल करना होती होती है। रामसर साइट में स्थल के शामिल हो जाने पर राज्य, केन्द्र सरकार से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों का उक्त साइट पर फोकस बढ़ जाता है और उसी अनुपात में विकास कार्यों के लिए फंड भी मिलता है।

खंदारी-डुमना में ये भी खास

डुमना में नगर निगम के स्वामित्व का 1058 हेक्टेयर हरित क्षेत्र है। यहां नेचर ट्रेल्स व ट्रेकिंग, वार्ड वाचिंग, वन्य प्राणियों के दर्शन, ट्री हाउस व मचान, वाइल्ड लाइफ पर्यटन के विकास की भी प्लानिंग हुई थी। लेकिन यहां विकास के नाम पर स्मार्ट सिटी के तहत चंद कांक्रीट स्ट्रक्चर विकसित करने, लाइट व्यवस्था को दुरुस्त करने से इतर कोई बड़ा काम नहीं हुआ।

ये है रामसर साइट

रामसर साइट वे चिन्हित स्थल होते हैं जहां पानी वाले भूभाग को आर्द्रभूमि कहते हैं। आर्द्रभूमि ऐसा स्थान है जहां वर्ष में कम से कम आठ महीने पानी भरा रहता है। जैव विविधता की दृष्टि से आर्द्रभूमि अत्यंत संवेदनशील होती हैं। विशेष प्रकार की वनस्पति भी आर्द्रभूमि पर उगने और फलने-फूलने के लिए अनुकूल होती हैं।

खंदारी जलाशय व डुमना नेचर पार्क और आसपास का क्षेत्र जैव विविधता से समृद्ध और अनुकूल है लेकिन समय के साथ कई वन्य जीवों की प्रजातियों के सामने खुद को बचाने का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में इस स्थल को रामसर साइट में शामिल कराने पहल होना चाहिए।

एबी मिश्रा, पर्यावरणविद्