जबलपुर जिले के गोदाम संचालकों ने ने नहीं दिया ध्यान
जबलपुर। 38 करोड़ रुपए का सरकारी गेहूं खराब करने के मामले में जिम्मेदार विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। किसी ने समय रहते जांच नहीं की। ऐसे में 21 हजार मीट्रिक टन गेहूं में कीड़े लग गए हैं। गोदाम संचालकों के अलावा मध्यप्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम, मध्यप्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कारपोरेशन के अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार हैं।
गेहूं की खरीदी और भंडारण के साथ उसकी निगरानी के लिए शासन ने एजेंसियां तय कर रखी हैं। इतना बड़ा तंत्र होने के बाद भी गेहूं खराब हो रहा है। इस मामले में लीपापोती की जा रही है। मध्यप्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम ने गोदाम संचालकों को नोटिस जारी कर इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों में देने के लिए नोटिस दिए हैं।
जानकारों के अनुसार खराब गेहूं को औने-पौने दामों में ठेकेदार को बेच दिया जाएगा। शासन को इससे करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा। तिलसानी ओपन कैप में तो गेहूं सड़कर काला हो गया है। उसकी नीलामी होनी मुश्किल है। लापरवाही के बावजूद अभी तक जिला प्रशासन ने किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की है।
हमेशा अच्छा रहना चाहिए गेहूं
गेहूं और धान के भंडारण के लिए गोदाम संचालक और मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कारपोरेशन (एमपीडब्ल्यूएलसी) के बीच अनुबंध होता है। उसमें साफ लिखा होता है कि गोदाम संचालक को खाद्यान्न का रखरखाव इस तरह करना चाहिए कि इसका किसी भी समय उठाव किया जा सके। लेकिन वर्ष 2018-19 और 2019-20 में भंडारित कुल 21 हजार मीट्रिक टन गेहूं में ज्यादातर खराब हो गया है।
अलग-अलग था समर्थन मूल्य
जनवरी में नागरिक आपूर्ति निगम के भोपाल से आए सर्वेयर ने जांच की तो गड़बड़ी सामने आई। वर्ष 2018-19 में गेहूं का समर्थन मूल्य 1735 रुपए था। इसमें 14 हजार 328 मीट्रिक टन गेहूं में कीडे़ लग गए हैं। समर्थन मूल्य के आधार इसकी कीमत तकरीबन 25 करोड़ रुपए होती है। वहीं वर्ष 2019-20 में किसानों से 1840 रुपए प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से गेहूं की खरीदी हुई थी। उस समय के 7 हजार 451 मीट्रिक टन गेहूं में कीडे़ पाए गए। इसकी कीमत लगभग 13 करोड़ 71 लाख रुपए है।
देखरेख इनकी है जिम्मेदारी
- जिला प्रबंधक, मप्र वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कारपोरेशन।
- जिला प्रबंधक, मध्य प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम।
- एमपीडब्ल्यूएलसी के रिछाई, कृषि मंडी, शहपुरा, पाटन, सिहोरा के शाखा प्रबंधक।
- अलग-अलग जगहों पर स्थापित 45 गोदामों के संचालक।
- शासन की तरफ से तैनात किए गए क्वालिटी इंस्पेक्टर।
गोदामों में रखा गेहूं इतनी मात्रा में कैसे खराब हो गया, इसकी जांच कराई जाएगी। इसमें किसी प्रकार की मिलीभगत है तो उसका भी पता लगाया जाएगा। जो जिम्मेदार हैं, उससे खराब गेहूं की कीमत की भरवाई की जाएगी।
सौरभ कुमार सुमन, कलेक्टर