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डायरेक्टर्स रिट्रीट से न्यायिक प्रशिक्षण में आएगा निखार

locationजबलपुरPublished: Mar 08, 2021 09:39:38 pm

Submitted by:

shyam bihari

कर्नाटक हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा, दो दिवसीय आयोजन का समापन
 
 

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Action on District Education Officer

 

जबलपुर। कर्नाटक हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस अभय श्रीनिवास ओख ने कहा कि जबलुपर में आयोजित न्यायिक अकादमियों के इस अभूतपूर्व डायरेक्टर्स रिट्रीट से न्यायिक प्रशिक्षण में निखार आएगा। सभी अकादमियां एक दूसरे के साथ अपनी बेस्ट प्रैक्टिस साझा करेंगी, जिससे न्यायिक प्रशिक्षण के तौर तरीके और आधुनिक, व्यवहारिक होंगे। जस्टिस ओख यहां राज्य न्यायिक अकादमी के ऑल इंडिया ज्यूडिसियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट कार्यक्रम के समापन सत्र को अध्यक्ष की आसंदी से सम्बोधित कर रहे थे। समापन सत्र में महाराष्ट्र हाईकोर्ट के चीफ दीपंकर दत्ता, जम्मू एवं कश्मीर हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मिथल, मप्र राज्य न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष व हाइकोर्ट के जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव उपस्थित थे। रविवार को अकादमी में परिचर्चा के तीन व समापन सत्र को मिलाकर कुल चार सत्र हुए। सभी 24 अकादमियों के डायरेक्टर इसमें शामिल हुए। पहले सत्र में नए न्यायाधीश की नियुक्तिकी उम्र को देखते हुए जिन तौर तरीकों से शिक्षण-प्रशिक्षण जाना चाहिए, उनकी बारीकियों पर परिचर्चा हुई।
सोशल मीडिया से न्यायाधीश रहें दूर
दूसरे सत्र में लैंगिक संवेदनशीलता पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने न्यायाधीशों के लिए स्त्री-पुरुष के भेद को समाप्त कर, इसके प्रति संवेदनशील होकर न्यायदान का कार्य करने की आवश्यकता जताई। सोशल मीडिया के प्रभाव पर भी चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि सोशल मीडिया बहुत प्रभावी है। न्यायाधीश भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं रहते। लेकिन, सोशल मीडिया की बहुत सी बातें कई बार न्यायालयों को विचार करने का अवसर भी देती हैं। समाज की आवश्यकता के अनुसार न्यायाधीश व न्यायालय विचार कर न्याय करें, इसमें सोशल मीडिया की महती भूमिका है। लेकिन, सोशल मीडिया में प्रचार-प्रसार से न्यायाधीशों को बचना चाहिए। परिचर्चा का तीसरा सत्र शेयरिंग ऑफ बेस्ट प्रैक्टिसेस पर आधारित था। सभी अकादमियों की ओर से इस सत्र के दौरान अपने अपने यहां न्यायिक प्रशिक्षण के लिए अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम विधियों, तौर-तरीकों को प्रस्तुत किया गया। परिचर्चा के दौरान अकादमियों के डायरेक्टर्स ने न्यायिक प्रशिक्षण के दौरान बेहतर परिणामों से सम्बंधित उनके अनुभव भी एक दूसरे से साझा किए।

समापन सत्र में अध्यक्ष जस्टिस ओख ने कहा कि रिट्रीट में हुई परिचर्चा के दौरान कई ऐसी बेस्ट प्रैक्टिस सामने आई है, जो हर अकादमी को अपनाना चाहिए। राज्य न्यायिक अकादमी के डायरेक्टर रामकुमार चौबे ने आभार जताते हुए कहा कि इस आयोजन ने देश में न्यायिक प्रशिक्षण के लिए तय राज्यों की सीमाओं को तोड़ दिया। अब सभी अकादमियों में एक दूसरे के बेहतर प्रशिक्षण के तौर तरीके अपनाए जाएंगे। अतिरिक्तडायरेक्टर यशपाल सिंह उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में डायरेक्टर रामकुमार चौबे ने दो दिवसीय आयोजन पर आधारित कंसेप्ट नोट जारी किया। इसमें पूरे कार्यक्रम का उपसंहार है। समापन सत्र के दौरान ही इस 4 पृष्ठीय नोट का विमोचन भी किया गया।

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