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नर्मदा गो कुम्भ : सिंगल यूज प्लास्टिक को छोड़ें, अपशिष्ट प्रवाहित कर मां नर्मदा को न करें मैला’

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आग्रह, संतों, आयोजकों और श्रृद्धालुओं की जागरुकता के लिए कार्यक्रम

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Gwarighat

जबलपुर. ग्वारीघाट में 24 फरवरी से शुरू हो रहे नर्मदा गो-कुम्भ के दौरान पर्यावरण संरक्षण एवं नियंत्रण को लेकर गुरुवार को साकेतधाम में संतों का समागम हुआ। इसमें आयोजन स्थल को साफ-सुथरा रखने और मां नर्मदा को स्वच्छ रखने पर मंथन हुआ। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के अधिकारियों ने संतों और श्रद्धालुओं से नर्मदा गो-कुम्भ में ऐसा आचरण रखने का आग्रह किया, जिससे आयोजन स्वच्छता की मिसाल बन जाए। अधिकारियों ने सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने और अपशिष्टों को नर्मदा नदी में प्रवाहित कर नदी को मैला नहीं करने के लिए कहा। आयोजकों और कुम्भ में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के लिए कई निर्देश दिए। इस दौरान स्वामी श्यामदेवाचार्य, स्वामी गिरीशानंद सरस्वती, एमपीपीसीबी के क्षेत्रीय निदेशक पीएस बुंदेला, वैज्ञानिक डॉ. एसके खरे उपस्थित थे।

इनका उपयोग न करें

- प्रतिबंधित प्लास्टिक कैरी बैग

- डिस्पोजेबल गिलास, क्रॉकरी

- प्लस्टिक, थर्मोकॉल के दीपक

नर्मदा नदी को बचाएं

- कुम्भ स्थल पर उत्पन्न ठोस अपशिष्ट को अलग संग्रहित करें
- निर्माल्य एवं हवन-पूजन सामग्री का नदी में विसर्जन न करें

- इन सामग्रियों को नगर निगम की ओर से चिह्नित स्थलों पर दें
- आयोजन स्थल से उत्पन्न दूषित जल को नदी में प्रवाहित न करें

- कुम्भ स्नान के दौरान साबुन, तेल, शैम्पू का उपयोग न करें
- नर्मदा तट पर कपड़े, बर्तन सहित अन्य सामग्री न धोएं

इनका भी रखें ध्यान

- प्रशासन की अनुमति के बिना ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग न करें

- ध्वनि की तीव्रता के निर्धारित मापदंडों के भीतर आवाज रखें

- नर्मदा तट पर पारिवारिक, सामाजिक कार्यक्रम और भंडारा का आयोजन न करें