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होली के लिए दिव्यांग बच्चों ने बनाया हर्बल गुलाल

संस्कारधानी की संस्था विकलांग सेवा भारती के दिव्यांग बच्चों ने अपनी मेहनत के दम पर अपनी कला को निखारा है। ये बच्चे हर पर्व पर अपनी रचनाशीलता का प्रदर्शन करते हैं और उससे उपार्जन भी करते हैं।

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Divyang children made herbal gulal for Holi

जबलपुर। खुद पर भरोसा और कुछ कर गुजरने की मजबूत इच्छाशक्ति हो तो कोई भी चुनौती मंजिल हासिल करने से नहीं रोक सकती। संस्कारधानी की संस्था विकलांग सेवा भारती के दिव्यांग बच्चों ने अपनी मेहनत के दम पर अपनी कला को निखारा है। ये बच्चे हर पर्व पर अपनी रचनाशीलता का प्रदर्शन करते हैं और उससे उपार्जन भी करते हैं। दीपावली में ये बच्चे रंगोली, ग्रीटिंग कार्ड बनाते हैं तो रक्षाबंधन पर तरह-तरह की कलाकारी युक्त राखियां। इस बार होली पर इन बच्चों ने मंदिरों से एकत्र किए गए गुलाब के फूलों से हर्बल गुलाल बनाया है। लोग इसे पसंद कर रहे हैं।

65 बच्चे लगे
विकलांग सेवा भारती के प्रकाश पवार ने बताया कि संस्था में 65 मानसिक दिव्यांग बच्चों को शिक्षा व प्रशिक्षण दिया जाता है। इन बच्चों की रुचि देखते हुए शिक्षकों ने इन्हें रंगोली बनाना, राखी, लिफाफे, ग्रीटिंग व हर्बल गुलाल बनाने की कला का प्रशिक्षण दिया। अब ये बच्चे स्वयं रुचि लेकर हर पर्व के अनुसार कलाकारी कर वस्तुएं बनाते हैं। दिवाली पर्व पर ये बच्चे रंगोली व पेंटिग कर आकर्षक ग्रीङ्क्षटग कार्ड बनाते हैं। इनकी बनाई राखियां लोगों को काफी पसंद आती हैं। इसके अलावा शादी, पार्टी में उपहार देने के लिए आकर्षक पेंङ्क्षटग युक्त लिफाफे भी बनाते हैं।

गुलाब से गुलाल
पवार ने बताया कि होली में ये बच्चे हर्बल गुलाल बनाते हैं। इस बार भी इन्होंने मंदिरों से गुलाब के फूल व पत्तियां एकत्र कर सुखाने के बाद उससे हर्बल गुलाल बनाया है। इस गुलाल को शहर के प्रबुद्धजन बहुत पसंद करते हैं। पवार ने बताया कि अधिवक्ता व चिकित्सक समुदाय इनके बनाए गुलाल को हर साल खरीदता है। वे इनकी सराहना भी करते हैं।

आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रशिक्षण
संस्था के शिक्षक बताते हैं कि इन बच्चों को समय-समय पर देश के अन्य महानगरों व विदेशों में मानसिक दिव्यांग बच्चों के लिए चल रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी जाती है। इन बच्चों की कला व ग्रीटिंग में अभिरुचि देखते हुए इन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए इन रोजगारपरक कलाओं का प्रशिक्षण दिया गया। अब ये बच्चे हर पर्व में अपनी कला के जरिये अपना खर्च निकाल लेते हैं।