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विश्व जैव विविधता दिवस आज
संस्कारधानी में जैव विविधताओं के संरक्षण पर किए जा रहे विशेष कार्य
पेड़, पक्षी और जीवों की तरह-तरह की प्रजातियों से शहर बना समृद्धशाली
एसएफआरआई में भी रिसर्च
शहर की जैव विविधता के संरक्षण के लिए टीएफआरआई में विशेष तरह की रिसर्च पिछले कुछ सालों से की जा रही है। राज्य वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. उदय होमकर ने बताया कि संस्थान में शहर की जैव विविधता को लेकर कई काम किए गए हैं। इसमें १४ तरह के संकटग्रस्त प्रजातियों को सहेजने का काम किया है। इनमें माहुल, दारू हल्दी, सेमल, कल्ला, बंगाली चलता, करकट, बैचांदी, बरबी, कलिहारी, हथपन, श्योनाक, गरुड़ फल, मेन्हर, भिलवा आदि शामिल है। इसके साथ ही ८० तरह के कंदमूलों की पहचान की गई है, वहीं ४५० औषधीय पौधों और २ लाख अन्य पौधों की प्रजाति को संरक्षित करने का काम चल रहा है।
इसलिए मनाया जाता है यह दिवस
नैरोबी में २९ दिसम्बर १९९२ को आयोजित हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि विश्व स्तर पर जैव विविधताओं के संरक्षण के लिए एक दिन मनाया जाएगा। इस कड़ी में इसे पहले २९ मई और फिर बाद में २२ मई से सालाना मनाया जाने के लिए घोषित किया गया। इसके विशेष तौर पर पेड़ों, जीव-जंतु, औषधीय पौधों का संरक्षण करना है। विश्व भर में यह दिवस जागरूकता के लिए ही मनाया जाता है।
डुमना है जैव विविधता का खजाना
शहर के पिकनिक और टूरिस्ट स्पॉट्स का सबसे बेहतरीन हिस्सा है डुमना नेचर पार्क। यह पार्क अपने आप में जैव विविधता का खजाना है। यहां विभिन्न जीव जंतुओं के साथ पौधे, तितलियों और प्राणियों की कई प्रजातियां मिल जाती हैं। पेंथर, हिरण और अन्य तरह के पक्षियों का घर ही बन चुका है। तितलियों के संरक्षण के लिए खासतौर पर बनाए गए बटरफ्लाइ गार्डन जोन में जैव विविधता का नमूना देखने को मिलता है।
शहर में मौजूद कई प्रजातियां
नेचर एंड बड्र्स कन्र्जेवेशन सोसायटी से जुड़ी डॉ. विजय ने बताया कि शहर में वन्य जीवों और पक्षियों की कई प्रजातियां आसानी से मिल जाती है। शहर में अब कई एेसे पक्षी भी हैं कि जो कि दूसरे देशों से उड़ान भर कर आते हैं और फिर संस्कारधानी में भी बस जाते हैं। पिछले कुछ सालों में इनकी उपस्थिति ने शहर की जैव विविधता को काफी समृद्ध बनाया है।