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MP सरकार के इस निर्णय से हिंदू जनमानस में छाई खुशियां

locationजबलपुरPublished: Sep 07, 2020 01:45:15 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-मूर्ति कलाकारों की बाछें खिलीं

मां दुर्गा प्रतिमा को संवारता मूर्तिकार

मां दुर्गा प्रतिमा को संवारता मूर्तिकार

जबलपुर. मध्य प्रदेश सरकार के एक फैसले ने हिंदू जनमानस के प्रसन्न कर दिया है। हर तरप अभी से खुशियां छा गई हैं। खास तौर पर बंग समाज के लोग ज्यादा ही प्रसन्न नजर आ रहे हैं। बात ही कुछ ऐसी है। अब जिस कोरोना को लेकर वासंतिक नवरात्र में पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया, उसका परिणाम क्या रहा यह दीगर चीज है, पर लोग खुश इसलिए हैं कि साल के दूसरे नवरात्र जिसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है, जिस नवरात्र पर पूरे देश में जहां-तहां देवी की प्रतिमाएं स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। बंगीय समाज में तो इस नवरात्र में दुर्गा पूजा का विशेष महात्म्य है। ऐसे में अगर दुर्गा पूजा पर प्रतिमाओं की स्थापना और पूजा-पाठ की छूट मिलने की सूचना मिले तो इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है भला।
बता दें कि फिलहाल पितृपक्ष चल रहा है, अभी 10 दिन तक पुरखों को तारने के निमित्त तर्पण, श्राद्ध आदि कार्य किए जाएंगे। उसके पश्चात अधिक मास के चलते महीने भर बाद नवरात्र शुरू होगा। लेकिन प्रदेश सरकार की मंशा को भांपते हुए लोग दुर्गा पूजा की तैयारी में जुट गए हैं। मूर्तिकार जुट गए हैं प्रतिमा बनाने और सजाने-संवारने में। ऐसा हो भी क्यों नहीं आखिर प्रदेश सरकार ने इसकी अनुमति जारी कर दी है। दुर्गा प्रतिमा स्थापना के साथ पंडाल भी रहेंगे और झांकी भी सजेंगी।
बता दें कि अनलॉक के तहत बढ़ाई जा रही छूटों में प्रदेश सरकार ने दुर्गा पूजा मनाने की अनुमति दे दी है। इस धार्मिक आयोजन के लिए स्थानीय स्तर पर क्या नियम लागू किए जाएंगे, यह फैसला कलेक्टर को करना है। हालांकि हो सकता है कि कोरोना संक्रमण के फैलाव के दृष्टिगत स्थानीय स्तर पर कुछ कठोर निर्णय लिए जाएं। ऐसे में दुर्गा पूजा समितियों ने अपने स्तर से ही बहुत ज्यादा ताम-झाम न करने का मन बना लिया है। साज-सज्जा पिछले सालों की तरह शायद न दिखे।
दुर्गा प्रतिमा तैयार करता मूर्तिकार
उधर कोरोना महामारी के बीच हाल ही में बीते गणेशोत्सव के दौरान जिस तरह की सख्ती रही उससे मूर्तिकार पहले काफी सशंकित रहे। ऐसे में उन्होंने मां भगवती की प्रतिमाओं का निर्माण तो जरूर शुरू किया है लेकिन संख्या भी कम है और मूर्ति की भव्यता पर भी असर दिख रहा है।
बता दें कि शहर में करीब 250 से 300 दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। शहर के खेरमाई, शीतलामाई क्षेत्र के मूर्तिकारों को लोगों ने कम ऊंचाई की प्रतिमाएं बनाने के ऑर्डर दिए हैं। कई समितियों ने पहले ही तय कर लिया था कि वह अपनी परंपरा नहीं तोड़ेंगे और माता की प्रतिमाएं स्थापित करके पूजा जरूर करेंगे लेकिन वह सार्वजनिक नहीं होगी। यहां यह भी बता दें कि बंगीय समाज द्वारा शहर में 19 स्थानों पर दुर्गोत्सव मनाया जाता है। कोलकाता के कलाकार प्रतिमाएं बनाने के साथ ही बड़े पंडाल तैयार करते रहे। इस बार कोरोना के चलते कोलकाता के कलाकार शहर नहीं आए और शासन की गाइडलाइन आने से अब साजसज्जा का समय भी नहीं बचा है। ऐसे में बंगीय समाज ने केवल परंपरा का निर्वाह करके 19 के बजाए सीमित स्थानों पर पूजन स्वरूप प्रतिमा स्थापित करना तय किया है। इसके लिए विशेष तौर पर एक-दो कलाकारों को जरूर बुलाया गया है।
सिटी बंगाली क्लब में इस बार 95वां दुर्गोत्सव मनाया जा रहा है। समिति सदस्यों ने पहले से तय किया है कि शासन की गाइडलाइन आए या न आए वह छोटी प्रतिमा स्थापित करके परंपरानुसार केवल पूजन करेंगे। क्लब के सचिव प्रकाश साहा ने बताया कि शासन ने दुर्गोत्सव की अनुमति जारी कर दी है, लेकिन व्यापक स्तर पर कार्यक्रम आयोजन न करके केवल छह फीट की प्रतिमा पूजन के लिए स्थापित करेंगे। इसके लिए साधारण मंच सिटी बंगाली क्लब में तैयार होगा जहां समिति के कुछ ही लोग रहेंगे। आम जनता के लिए बाहर एलईडी स्क्रीन लगाई जाएगी जहां से वह केवल पूजन देख सकेंगे। क्लब परिसर में जनता को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। क्लब से प्रसाद वितरण नहीं होगा और विशेष साजसज्जा भी नहीं की जाएगी।

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