संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि दो कोषालय होने के बाद भी आज तक कर्मचारियों का वेतन, पेंशन एवं अन्य वित्तीय कार्य समय पर नहीं हो पा रहा। यदि एक कोषालय कार्यालय खत्म कर दिया जाएगा, तो हजारों कर्मचारियों की वेतन और अन्य आर्थिक समस्याएं बढ़ जाएंगी। समय पर उन्हें आर्थिक मानदेय का भुगतान नहीं हो पाएगा। जिले में हाई कोर्ट समेत डीजे कोर्ट भी है। इसके साथ ही अन्य विभागों में हजारों कर्मचारियों के वित्तीय कार्य दो कोषालय से संचालित होते हैं फिर भी काम के दबाव के चलते समस्या आती है। भुगतान में देरी भी हो जाती है। कर्मचारियों के सामने आर्थिक कठिनाई पहले से ही अधिक है ऐसे में नगर कोषालय के बंद होने से कर्मचारियों को भारी आर्थिक एवं मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
संघ के योगेंद्र दुबे अरवेंद्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, नरेंद्र दुबे, रॉबर्ट मार्टिन, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, दुर्गेश पांडे, आशुतोष तिवारी, बृजेश मिश्रा, परशुराम तिवारी, मनोज सिंह, मुकेश मिश्रा, वीरेंद्र चंदेल, एसपी बाथरे, कीर्तिमान सिंह, तुशेन्द्र सिंह सेंगर, आदि कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री और आयुक्त कोष एवं लेखा को ईमेल कर मांग की है कि नगर कोषालय का जिला कोषालय में संविलियन ना किया जाए अगर संविलियन किया जाता है तो संघ धरना प्रदर्शन को बाध्य होगा।