आइसीएफआरइ की गाइडलाइन के अनुसार टीएफआरआइ के वैज्ञानिकों ने गांवों में सर्वे और सरपंचों के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं। वल्र्ड बैंक ने इस प्रोजेक्ट में 30 करोड़ रुपए दिए हैं। मप्र के तीन वन मंडल एवं छत्तीसगढ़ के चार वनमंडलों में गांवों का चयन किया गया है। मप्र में 33 गांवों का चयन हुआ और ग्रामीणों को नए-नए प्रयोग अपनाने के लिए तैयार किया जा रहा है। ग्रामीणों की सहमित के अनुसार प्रोजेक्ट के कार्य किए जाएंगे।
वैज्ञानिकों के अनुसार चयनित गांवों में अधिक से अधिक कार्बन अवशोषण के लिए चयनित प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे। जिन पौधों की वृद्धि दर अधिक होती है, उन पौधों की भूमिका कार्बन यानि प्रदूषण सोखकर पर्यावरण को बेहतर बनाने में ज्यादा होती है। इसी प्रकार जल स्तर बेहतर बनाने के लिए सिंचाई में कम पानी का प्रयोग और कृषि वानिकी, फायदे की खेती के तरीके बताए जाएंगे। ग्रामीणों को वैज्ञानिक तरीके बताकर कार्य कराए जाएंगे ताकि पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के साथ वन, प्राकृतिक जलस्रोत पर उनकी निर्भरता कम हो और हरियाली से पर्यावरण शुद्ध हो जाए।
टीएफआरआइ ने मप्र और छत्तीसगढ़ के गांवों में कार्य करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम बना दी है। गांवों की जलवायु की अनुसार वैज्ञानिक प्रयोगों का निर्धारण किया जा रहा है। ग्रामीणों के आजीविका के स्रोत और वहां के प्राकृतिक संसाधनों की पड़ताल की जा रही है।
डॉ. आरएस रावत, प्रभारी, बॉयोडायवर्सिटी एवं क्लाइमेट चेंज डिवीजन, आइसीएफआरइ देहरादुन