पिछले साल दिसम्बर में ही पहला मॉडल रैक तैयार किया गया था। सवारी डिब्बा पुनर्निर्माण कारखाने को रेलवे बोर्ड ने मॉडल रैक के 111 डिब्बे बनाने के निर्देश दिए थे। तकनीकी बाधाओं के चलते 18 कोच तैयार करने में ही साल भर लग गया, हालांकि अगले पांच माह में तीन नए रैक बनाने का टारगेट रखा गया है। पमरे में तैयार पहले मॉडल रैक को जबलपुर की ट्रेन में लगाने के प्रयास किए थे। मॉडल रैक रेलमंत्री को रैक इतना पसंद आया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से दिल्ली के बीच महामना एक्सप्रेस मॉडल रैक से दौड़ा दी थी। इस बार भी उत्तर रेलवे, दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे ने इस रैक के लिए कवायद शुरू कर दी है। इस बार जनप्रतिनिधियों को भी प्रयास करने होंगे, तभी दूसरा मॉडल रैक जबलपुर की झोली में आ पाएगा।