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Heart and Sugar की बीमारी को दूर भगाएगी गौ-मूत्र की गोली, MP की इस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक नई दवा पर कर रहे है research

वेटरनरी यूनिवसिज़्टी गौर अकज़् से मच्छर भगाने की कुंडली और हवन टिकिया का भी कर चुका है निमाज़्ण

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जबलपुर। गौमूत्र का औषधिय उपयोग प्राचीन काल से होता आया है। उसके औषधिय गुणों को देखते हुए अब नई विधि से गौमूत्र की दवा तैयार करने पर शोध किया जा रहा है। ये काम जबलपुर की वेटरनरी यूनिवसिज़्टी के वैज्ञानिक कर रहे है। जो गोमूत्र से दिल की बीमारी और शुगर को कंट्रोल करने की दवा बनाने के लिए तैयार है। अपनी तरह के इस नए प्रोजेक्ट को यूनिवसिज़्टी ने फायनल कर दिया है। इसे जल्द ही स्वीकृति के लिए सरकार को भेजा जाएगा।
इस पर होगी रिसचज़्
यूनिवसिज़्टी में गौमूत्र को लेकर पहले ही रिसचज़् हो रही है। इसमें साइंटफिक तरीके से गौमूत्र का अकज़् तैयार किया जा रहा है। ये कायज़् पंचगव्य योजना के तहत किया जा रहा है। यूनिवसिज़्टी की स्थापना के साथ तैयार की गई इस योजना पर अब गौमूत्र के अन्य बीमारियों के नियंत्रण पर इस्तेमाल में शोध कायज़् होना है। इसके तहत विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अध्ययन करेंगे कि गौमूत्र किस तरह से हृदय की बीमारियों और शुगर को कंट्रोल करने में लाभकारी हो सकता है।
गौमूत्र में मौजूद तत्व
गौमूत्र में नाइट्रोजन, सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीज, काबोज़्लिक एसिड, आयरन, सिलिकॉन, क्लोरीन, मैग्नीशियम, साइट्रिक, कैल्शियम साल्ट, विटामिन ए, बी, सी, डी, ई आदि तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा कई अज्ञात तत्व भी हैं।
छत्तीसगढ़ का भी साथ
विवि प्रशासन को गौ मूत्र से जुड़े उत्पादों के निमाज़्ण में पहले ही सफलता मिली है। विवि ने गौ अकज़्, मच्छर मारने की कुंडली, हवन टिकिया आदि का निमाज़्ण किया है। शोध में मप्र गौ संवधज़्न बोडज़् और छत्तीसगढ़ का वीयू भी मदद करेगा।
पंचगव्य की यूनिट
जानकारों के अनुसार अनुसंधान के लिए विश्वविद्यालय की खुद की पंचगव्य यूनिट है। इसमें कई मशीनें लगाई गई हैं। विवि के पास अनुसंधान के लिए टीम भी है। पशुओं की बीमारियों और नस्ल सुधार को लेकर विवि प्रशासन काम कर रहा है।
बोडज़् देगा फेलोशिप
मप्र गौ संवधज़्न बोडज़् ने भी इस दिशा में पहल शुरू की है। बोडज़् ने वेटरनरी विश्वविद्यालय प्रशासन से कहा है कि जो भी छात्र गौ मूत्र का मनुष्य की बामारियों के इलाज में अनुसंधान के लिए काम करेगा, उसे बोडज़् की ओर से फेलोशिप दी जाएगी।
शोध में ये करेंगे मदद
- विवि के पास खुद की यूनिट है
- पारंगत चिकित्सकीय स्टाफ है
- जबलपुर, रीवा, महू में कॉलेज है
- पीएचडी और पीजी के छात्र
पशुसंवधज़्न बोडज़् करेगा मदद
वेटरनरी यूनिवसिज़्टी के कुलपति डॉ. पीडी जुयाल के अनुसार गौमूत्र का उपयोग किस तरह मानव बीमारियों को खत्म करने में उपयोगी हो सकता है। विवि इस दिशा में शोध के लिए प्रयास कर रहा है। इसके लिए पशुसंवधज़्न बोडज़् भी हमें मदद करेगा।