
Gupt Navratri 2025 : सनातन वैदिक परम्परा के अनुसार वर्ष की चार ऋतुओं के परिवर्तन काल में चार नवरात्र पड़ती हैं। इनमें बासंतेय व शारदीय नवरात्र प्रकट होती हैं। माघ व आषाढ़ माह की नवरात्र गुप्त होती हैं। माघ मास की गुप्त नवरात्र गुरुवार से शुरू होगी। इसमें नौ दिन तक माता के दस महाविद्या रूपों का पूजन किया जाएगा, जो कि तंत्र साधना करने वाले साधकों के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है।
संस्कारधानी में ऐसे कई मंदिर हैं जो गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना के लिए विशेषतौर पर जाने जाते हैं। इनमें मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर तेवर, बगलामुखी मठ सिविक सेंटर, भैरव मंदिर बाजना मठ व चौंसठ योगिनी मंदिर भेड़ाघाट प्रमुख हैं। अन्य देवी मंदिरों में भी श्रद्धालुओं का तांता लगेगा।
गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना व गुप्त आराधना करने वाले लोग देवी की दस महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए तारा देवी, मां काली, भुवनेश्वरी, त्रिपुर सुंदरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माता बगलामुखी, मातंगी, मां धूमावती और कमला देवी की पूजा-उपासना करेंगे। माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने अपनी खोयी हुई शक्तियों को पाने के लिए माघ मास की गुप्त नवरात्र में साधना की थी।
ज्योतिषाचार्य जनार्दन शुक्ला ने बताया कि साधक गुप्त स्थान पर आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिए अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करेंगे। इस नवरात्र में गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है। आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र में वामाचार उपासना की जाती है। वहीं माघ मास की गुप्त नवरात्र में वामाचार पद्धति को अधिक मान्यता नहीं दी गई है। ग्रंथों के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष का विशेष महत्व है।
ज्योतिर्विद शुक्ला ने बताया कि गुप्त नवरात्र की साधना शक्ति के साधकों के लिए विशेष फलदायक है। इसमें मानसिक पूजा का महत्व है। शुक्ला कहते हैं कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि गुप्त नवरात्र केवल तांत्रिक विद्या के लिए ही होती है। इनमें कोई भी देवी की आराधना कर सकता है। देवी की साधना के लिए नियमों का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
Updated on:
30 Jan 2025 12:27 pm
Published on:
30 Jan 2025 12:21 pm
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