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जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने तबादले को चुनौती देने वाले डॉक्टर को फटकार लगाते हुए कहा कि कोरोना आपदा के समय सरकार ही जज है। वही तय करेगी कि किस डॉक्टर को कहां रखना है। प्रभारी सिविल सर्जन जैसे जिम्मेदार पद पर रहते हुए ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर करना अनुचित है। याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी गई कि वह अभ्यावेदन दे और सरकार उसका निराकरण करे।
प्रकरण के अनुसार डॉ.एसबी खरे सीधी में प्रभारी सिविल सर्जन बतौर पदस्थ थे। उनका ट्रांसफर रीवा कर दिया गया। जिसके खिलाफ वे हाईकोर्ट चले आए। उनका तर्क यह था कि वे प्रथम श्रेणी के अधिकारी हैं। इस मामले में सक्षम अधिकारी ने ट्रांसफर आदेश नहीं निकाला। ट्रांसफर आदेश निरस्त किया जाए। इस पर राज्य की ओर से साफ किया गया कि प्रशासनिक आवश्यकता के मद्देनजर सीधी से रीवा भेजा जा रहा है। कोरोना आपदा के समय यह आवश्यक था। साथ ही याचिकाकर्ता लंबे समय से सीधी में पदस्थ है। ऐसे में रीवा में उनकी अधिक आवश्यकता महसूस की गई। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को नसीहत दी कि कोरोना आपदा के समय इस तरह ट्रांसफर के खिलाफ मुकदमेबाजी उचित नहीं है। ऐसे समय में डॉक्टर को पूरा ध्यान मानव सेवा पर लगाना चाहिए। इसके साथ कोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी।
जिला अदालत में शुरू होगी नियमित फाइलिंग
जबलपुर . मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जिला अदालत में नियमित फाइलिंग शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल के आदेश पर रजिस्ट्रार जनरल राजेंद्र कुमार वानी ने इस आशय का सर्कुलर जारी किया। जिसके तहत व्यवस्था दी गई कि ई-फाइलिंग में तकनीकी परेशानी को देखते हुए सोमवार से जिला अदालत में मैल्युअल फाइलिंग की जा सकेगी। इसके लिए सुबह 10.30 से दोपहर 2.30 तक का समय नियत रहेगा। इस दौरान फाइलिंग सेक्शन चालू रहेगा। वकीलों व पक्षकारों को सोशल-फिजिकल डिस्टेंसिंग, मास्क व सेनिटाइजर सहित अन्य सभी सावधानियां बरतनी होंगी। एक दिन में 50 से अधिक फाइलिंग नहीं होंगी। भीड़ अधिक होने की सूरत में जिला बार की जिम्मेदारी होगी कि वह हस्तक्षेप कर वकीलों से दस्तावेज एकत्र करे। ताकि आगामी कार्यदिवस पर नियमानुसार फाइलिंग प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाए। केस फाइल होने के बाद सीआईएस सॉफ्टवेयर सिस्टम में डिस्प्ले किया जाएगा।
Published on:
29 May 2020 09:46 pm
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