गंगानगर, जबलपुर निवासी निकिता खंपरिया की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से डुमना एयरपोर्ट तक फोरलेन सडक़ का निर्माण किया जा रहा है। सडक़ निर्माण के लिए हरे-भरे पेड़ों को काटा जा रहा है। हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार की ओर से डुमना जाने के लिए पांच वैकल्पिक मार्ग पेश किए गए।
पहला मार्ग एंपायर टॉकीज से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय होते हुए डुमना 12 किलोमीटर, दूसरा मार्ग एंपायर टॉकीज से पेंटीनाका, गोराबाजार, भीटा होते हुए डुमना 16.3 किलोमीटर, तीसरा मार्ग एंपायर टाकीज, चुंगीनाका, सतपुला, रांझी, खमरिया, पिपरिया होते हुए डुमना 16.10 किलोमीटर, चौथा मार्ग एंपायर टॉकीज, चुंगी नाका, रांझी, खमरिया, पिपरिया, उमरिया, अमझर घाटी, ककरतला होते हुए डुमना 30.5 किलो मीटर और पांचवां मार्ग एंपायर टॉकीज से चुंगी नाका, रांझी, पुराना खमरिया थाने के पहले से डुमना 18.60 किलोमीटर है।
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि यह रिपोर्ट कई वजहों से स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। विगत सुनवाई के दौरान छह जनवरी को हाईकोर्ट ने जबलपुर के डुमना के लिए पांच विभागों की समिति द्वारा वैकल्पिक मार्गों का प्रस्ताव तैयार किए जाने की व्यवस्था दी थी। इस समिति में जिला प्रशासन, वन विभाग, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी का एक-एक सदस्य शामिल करने का निर्देश दिया गया था।
हाई कोर्ट ने पांच विभागों की समिति को इसका परीक्षण भी करने के लिए कहा था कि रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय से डुमना तक बन रही सडक़ संरक्षित या रिजर्व फारेस्ट एरिया में आती है या नहीं? मंगलवार को कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के सवाल पर सरकार से कटने व लगाए जाने वाले पेड़ों की जानकारी मांग ली।