
जबलपुर। शहरी सीमा में पिग हाउस पर प्रतिबंध की बात कागजों तक ही सीमित है। हकीकत यह है कि घनी बस्ती, मोहल्लों में अवैध पिग (सुअर) सेंटर खुले हुए हैं। रोक के बाद भी रहवासी इलाकों में पिग पालन किया जा रहा है। जिससे कॉलोनियों में संक्रमण का खतरा बना हुआ है। सुअर' पालन पर रोक लगाने के लिए टेंडर बुलाए गए लेकिन कोई नहीं आया। स्वास्थ्य अधिकारी की दलील है कि सुअरर पालकों की जानकारी, संबंधित थानों में दी जा चुकी है लेकिन कारज़्वाई नहीं होने से पुलिस की कायज़्शैली संदिग्ध प्रतीत हो
रही है।
आमनपुर की घनी बस्ती में सुअर' पाले जा रहे हैं। कालीमठ मंदिर के समीप स्थित बस्ती के बीचों बीच खाली पड़े पांच हजार वगज़् फीट के प्लॉट पर पिग हाउस सेंटर कई वषोज़् से संचालित हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। प्लॉट को गंदे पानी से भरा गया है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि कई बार इस संबंध में नगर निगम को सूचित किया गया लेकिन कारज़्वाई नहीं हुई।
पुलिस का सहयोग होने की बात
राह चलते लोगों को काटना, वाहनों के सामने आकर लोगों को दुघज़्टना का शिकार बनाने वाले सुअरों के पालकों से निपटने निगम प्रशासन का स्वास्थ्य विभाग भी थक गया है। सुअर' पालकों दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। थानों में सुअर' पालकों का ब्यौरा होने के बाद भी कारज़्वाई नहीं हो रही है।
20 बार बुला चुके टेंडर
सूअरों को पकडऩे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदार द्वारा 20 बार टेंडर बुलाए जाने की बात कहीं गई है। लेकिन टेंडर की प्रक्रिया आगे ही नहीं बढ़ सकी। नगर निगम सुअर' पकडऩे के लिए मोटी रकम खचज़् करने को तैयार है लेकिन कोई भी ठेका लेने इच्छुक नहीं है। इस कायज़् में लड़ाई झगड़े की संभावना अधिक है, जिसके चलते लोग ठेका नहीं ले रहे हैं।
एक वषज़् में 180 चालान
स्वास्थ्य विभाग ने विगत एक वषज़् में करीब 180 चालान काटे हैं। जबकि नगर निगम द्वारा किए गया सवेज़् पर नजर दौड़ाए तो शहर में 651 सुअर* पालक हैं। सूत्रों का कहना है कि शहर में 1000 के करीब पिग हाउस हैं।
जोन के पास है सुअर* पालकों का डाटा
प्रत्येक जोन में कितने सुअर* पालक है इसकी विस्तिृत जानकारी स्वास्थ्य विभाग से लेकर जोन कायाज़्लयों में है। जिम्मेदारों को पालकों के नाम,स्थान आदि सभी प्रकार की जानकारी है। जोन के सीएसआई को निगम के स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय द्वारा यह सूची सौंपी गई है। इसके साथ ही उन्हें सुअर* पालकों की जानकारी मिलने पर संबंधित पुलिस थाने में एफआईआर कराने के निदेज़्श दिए गए है।
ये भी कर रहे मदद
सुअर" पालकों की मदद शहर में संचालित होटल संचालकों द्वारा भी की जा रही है। होटलों में बचने वाला खाना, जूठन सुअर* पालकों को दे दिया जाता है। इससे सूअरों की खुराक पयाज़्प्त मात्रा में उपलब्ध हो जाती है।
पिग हाउस खाली पड़ा
सूअरों के लिए कठौंदा में पिग हाउस बनाया गया है। पिग हाउस बनकर तैयार हो गया है लेकिन, सुअर* पकडऩे का ठेका नहीं होने से लाखों रुपए से निमिज़्त पिग हाउस खाली पड़ा है।
इन जगहों पर हो रहा पालन
रानीताल, उखरी, भानतलैया, चंडाल भाटा, लाल माटी, घोड़ा नक्कास, रांझी आदि कई ऐसे क्षेत्र हैं जहंा पर कॉलोनियों में पले सुअरों ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। ये सुअर* आए दिन लोगों को घायल कर रहे हैं।
सुअर** पालकों की लिस्ट पुलिस को सौंपी जा चुकी है। पुलिस कारज़्वाई नहीं कर रही है। पुलिस चाहे तो पालकों पर मामला दजज़् कर सकती है। इसके अलावा होटल संचालकों को स्पष्ट निदेज़्श दिए है कि वे बचा खाना पालकों को देते हैं तो उनकी होटल सीज कर दी जाएगी। कुछ होटलों पर नजर रखी जा रही है। आमनपुर की घनी बस्ती में सुअर** पालक पर सख्त की कारज़्वाई की जाएगी।
- जीएस चंदेल, स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम
Published on:
13 Feb 2018 01:13 pm
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