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मेडिकल में नए साल से शुरू होगी कैंसर की ब्रेकी थैरेपी

जर्मनी से आई 2.5 करोड़ रुपए की मशीन

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mukesh gaur

Dec 30, 2016

cancer

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जबलपुर।नए वर्ष में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज में ब्रेकी थैरेपी शुरू की जा रही है। इसमें मशीन से कैंसर पीडि़तों के प्रभावित अंगों की सिंकाई की जाती है। महाकौशल क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज अस्पताल है, जहां यह सुविधा होगी। मेडिकल कॉलेज में ढाई करोड़ रुपए में ब्रेकी थैरेपी की मशीन जर्मनी से आयात की गई है। मशीन की सप्लाई आ गई है।

नीदरलैंड से सोर्स (आई रेडियम-192) आने वाला है। सप्लाई एजेंसी ने 30 जनवरी तक सोर्स सप्लाई करने की जानकारी दी है। लोडिंग, टेस्टिंग और ट्रेनिंग के बाद संभवत: फरवरी से थैरेपी शुरू होगी। प्राइवेट हॉस्पिटल में एक बार ब्रेकी थैरेपी कराने का खर्च 3 से 7 हजार रुपए है। एक मरीज की थैरेपी तीन या चार बार की जाती है। मेडिकल कॉलेज में कोबाल्ट मशीन से शरीर के बाहर के अंगों की ही सिंकाई हो पाती है। इस मशीन से बच्चेदानी के मुंह, आहार नली, मुंह या गला, छाती आदि अंगों की थैरेपी होती है।

ओपीडी में पुराने मरीज
100-150
नए मरीज
10-15
कोबाल्ट थैरेपी प्रतिदिन
120-140
ब्रेकी थैरेपी के रेफर केस
02-03

इनका कहना है कि

कैंसर के गंभीर मरीजों के लिए यह आवश्यक थी। ढाई करोड़ रुपए की मशीन आयात की गई है। फरवरी से ही ये थैरेपी शुरू हो जाएगी।
डॉ. रूपलेखा चौहान, डीन मेडिकल कॉलेज