प्रीति के जबलपुर सेंट्रल जेल पहुंचने के बाद उसकी जांच की गई। उसके बाद डॉक्टर्स की टीम ने मेडिकल परीक्षण किया। फिर उसे महिला बैरक में रखा गया। उसे अन्य बंदियों को मिलने वाला खाना व अन्य सामान दिया गया। इंदौर के विजय नगर थाना पुलिस ने देह व्यापार के अड्डे पर छापा मारा था। वहां कुछ युवतियां ड्रग्स के नशे में मिलीं। जांच में पता चला कि प्रीति जैन उन्हें ड्रग्स सप्लाई करती थी। टीम ने 24 दिसम्बर को प्रीति को गिरफ्तार किया। वह अपने बेटे के साथ यह धंधा करती थी। प्रीति इंदौर के पबों में रईस व रसूखदारों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें ड्रग्स सप्लाई करती थी। कई जिम में भी वह डग्स पहुंचाती थी। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि प्रीति मुंबई और दिल्ली जाकर नाइजीरियन गिरोह से ड्रग्स खरीदकर इंदौर में बेचती थी। इस मामले में इंदौर पुलिस प्रीति के अलावा लगभग 15 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
प्रीति की पहुंच इंदौर में रसूखदारों तक है। पुलिस को संदेह था कि प्रीति को इंदौर स्थित सेंट्रल जेल में रखा जाता, तो वहां नया रैकेट तैयार करती या फिर जेल के भीतर से ही अपने गुर्गों के माध्यम से रैकेट संचालित करती। इसी आशंका के चलते उसे जबलपुर शिफ्ट किया गया। इंदौर के हनीट्रैप मामले के आरोपी भी इंदौर जेल में ही बंद हैं। यह भी एक वजह है कि प्रीति को वहां नहीं रखा गया।